Padmini Ekadashi Katha: आज पद्मिनी एकादशी पर जरूर सुनें यह कथा, व्रत पूरा करने के लिए है महत्वपूर्ण
Padmini Ekadashi Katha अधिकमास या मलमास के समय में शुक्ल पक्ष की एकादशी को पद्मिनी एकादशी या कमला एकादशी के नाम से जाना जाता है। पूजा के समय पद्मिनी एकादशी की व्रत कथा जरूर सुनी जाती है इसके बिना व्रत को अधूरा माना जाता है।
Padmini Ekadashi Katha: अधिकमास या मलमास के समय में शुक्ल पक्ष की एकादशी को पद्मिनी एकादशी या कमला एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस वर्ष यह 27 सितंबर दिन रविवार को पड़ रही है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान है। पूजा के समय पद्मिनी एकादशी की व्रत कथा जरूर सुनी जाती है, इसके बिना व्रत को अधूरा माना जाता है। इसके महत्व के बारे में भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को बताया था। आइए पढ़ते हैं पद्मिनी एकादशी की कथा।
पद्मिनी एकादशी व्रत कथा
त्रेयायुग में महिष्मती पुरी के राजा थे कृतवीर्य। वे हैहय नामक राजा के वंश थे। कृतवीर्य की एक हजार पत्नियां थीं, लेकिन उनमें से किसी से भी कोई संतान न थी। उनके बाद महिष्मती पुरी का शासन संभालने वाला कोई न था। इसको लेकर राजा परेशान थे। उन्होंने हर प्रकार के उपाय कर लिए लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ। इसके बाद राजा कृतवीर्य ने तपस्या करने का निर्णय लिया। उनके साथ उनकी एक पत्नी पद्मिनी भी वन जाने के लिए तैयार हो गईं। राजा ने अपना पदभार मंत्री को सौंप दिया और योगी का वेश धारण कर पत्नी पद्मिनी के साथ गंधमान पर्वत पर तप करने निकल पड़े।
कहा जाता है कि पद्मिनी और कृतवीर्य ने 10 हजार साल तक तप किया, फिर भी पुत्र रत्न की प्राप्ति नहीं हुई। इसी बीच अनुसूया ने पद्मिनी से मलमास के बारे में बताया। उसने कहा कि मलमास 32 माह के बाद आता है और सभी मासों में महत्वपूर्ण माना जाता है। उसमें शुक्ल पक्ष की एकादशी का व्रत करने से तुम्हारी मनोकामना अवश्य पूर्ण होगी। श्रीहरि विष्णु प्रसन्न होकर तुम्हें पुत्र रत्न अवश्य देंगे।
पद्मिनी ने मलमास के शुक्ल पक्ष की एकादशी का व्रत विधि विधान से किया। इससे प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उसे पुत्र प्राप्ति का आशीर्वाद दिया। उस आशीर्वाद के कारण पद्मिनी के घर एक बालक का जन्म हुआ, जिसका नाम कार्तवीर्य रखा गया। पूरे संसार में उनके जितना बलवान कोई न था।
भगवान श्रीकृष्ण ने बताया कि मलमास की पद्मिनी एकादशी की व्रत कथा जो सुनते हैं, उनको बैकुंठ की प्राप्ति होती है।