Navratri Kanya Pujan Date And Time: नवरात्रि में कन्या पूजन मतलब साक्षात् मां दुर्गा की पूजा, जानें मुहूर्त एवं पूजा विधि
Navratri Kanya Pujan Date And Time नवरात्रि के समय में कन्या पूजन या कंजक पूजा का विशेष महत्व है।
Navratri Kanya Pujan Date And Time: नवरात्रि के समय में कन्या पूजन या कंजक पूजा का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, 2 से 9 वर्ष की कन्याओं को मां दुर्गा का साक्षात् स्वरूप माना जाता है, इसलिए दुर्गाष्टमी या महानवमी के दिन कन्या पूजन किया जाता है। दुर्गाष्टमी रविवार 06 अक्टूबर और महानवमी सोमवार 07 अक्टूर को है। सभी लोगों को इस दिन विधि विधान से कन्या पूजन करना चाहिए।
2-10 वर्ष तक की कन्याओं का पूजन
दुर्गाष्टमी या नवमी के दिन दो वर्ष से लेकर 10 वर्ष तक की कन्याओं की पूजा की जाती है, इनकी संख्या 9 तक होनी चाहिए। इन 9 कन्याओं की पूजा के साथ एक बालक को भी बैठाया जाता है, बालक भैरव का प्रतीक माने जाते हैं।
कन्याओं में माता के अनेक रूप
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, कन्याओं में मां दुर्गा का वास होता है। 2 वर्ष की कन्या को कुंआरी, 3 वर्ष की कन्या त्रिमूर्ति, 4 वर्ष की कन्या कल्याणी, 5 वर्ष की कन्या रोहिणी, 6 वर्ष की कन्या कालिका, 7 वर्ष की कन्या चंडिका, 8 वर्ष की कन्या शाम्भवी, 9 वर्ष की कन्या दुर्गा और 10 वर्ष की कन्या सुभद्रा होती हैं।
नवरात्रि अष्टमी: 06 अक्टूबर को
अष्टमी तिथि प्रारंभ: 05 अक्टूबर को सुबह 09 बजकर 53 मिनट से।
अष्टमी तिथि समापन: 06 अक्टूबर को सुबह 10 बजकर 56 मिनट तक।
नवरात्रि नवमी: 07 अक्टूबर को
नवमी तिथि अक्टूबर को दोपहर 03:05 बजे तक है।
कन्या पूजन विधि
दुर्गाष्टमी या नवमी को आप 2 वर्ष से लेकर 10 वर्ष तक की 9 कन्याओं को अपने घर आमंत्रित करें। उनके आगमन पर उनको साफ आसन पर बैठाएं। स्वच्छ जल से उनके चरण धोएं। उनको चंदन लगाएं, अक्षत्, पुष्प आदि से उनकी पूजा करें। फिर उनको स्वादिष्ट भोजन, हलवा आदि परोसें। भोजन के उपरान्त उनको दक्षिणा स्वरूप कुछ रुपये आदि भेंट करें। फिर उनका पैर छूकर आशीर्वाद प्राप्त करें। कन्या पूजन करने से आपको साक्षात् मां दुर्गा का आशीष प्राप्त होता है।