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Nirjala Ekadashi Vrat Katha: आज निर्जला एकादशी के दिन जरुर पढ़ें यह व्रत कथा

Nirjala Ekadashi Vrat Katha ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन निर्जला एकादशी का व्रत रखा जाता है। इस वर्ष ये तिथि आज 21 जून को है। इसे पाण्डव या फिर भीमसेन एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। जानिए निर्जला एकादशी की व्रत कथा।

By Jeetesh KumarEdited By: Published: Fri, 18 Jun 2021 05:40 PM (IST)Updated: Mon, 21 Jun 2021 06:15 AM (IST)
Nirjala Ekadashi Vrat Katha: आज निर्जला एकादशी के दिन जरुर पढ़ें यह व्रत कथा
Nirjala Ekadashi Vrat Katha: आज निर्जला एकादशी के दिन जरुर पढ़ें यह व्रत कथा

Nirjala Ekadashi Vrat Katha: निर्जला एकादशी का व्रत सभी एकादशियों के व्रत में विशेष और सबसे कठिन भी है। हिंदी पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन निर्जला एकादशी का व्रत रखा जाता है। इस वर्ष ये तिथि आज 21 जून को पड़ रही है। मान्यता है कि निर्जला एकादशी का व्रत रखने से सभी एकादशियों के व्रत का फल मिलता है परन्तु व्रत के नियमानुसार निर्जला एकादशी के व्रत में स्नान और आचमन के सिवा पूरे दिन जल का त्याग करना पड़ता है। इसे पाण्डव एकादशी या फिर भीमसेन एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। आज हम निर्जला एकादशी की व्रत कथा के बारे में जानते हैं...

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निर्जला एकादशी की व्रत कथा

यह घटना महाभारत की है जब पाण्डव अज्ञातवास के दौरान ब्राह्मणों के रूप में रह रहे थे। सभी पाण्डव नियमित रूप से एकादशी का व्रत रखते थे परन्तु भीमसेन से भूख बर्दाश्त नहीं होती थी। भीम सही तरीके से व्रत पूरा नहीं कर पाते थे, इससे भीम के मन में बहुत ग्लानि होने लगी। उन्होनें इस समस्या का हल निकालने के लिए महर्षि वेद व्यास जी का स्मरण किया। अपनी समस्या व्यास जी के सामने रखी। व्यास जी ने भीम को पुराणों में वर्णित निर्जला एकादशी के बारे में बताया और कहा कि निर्जला एकादशी का व्रत सभी एकादशियों के व्रत में सबसे कठिन है परन्तु इसको पूरा करने से सभी एकादशियों के व्रत का फल एक साथ मिल जाता है।

भीमसेन ने पूरी निष्ठा और श्रद्धा के साथ निर्जला एकादशी का व्रत रखा और अपनी ग्लानी से मुक्ति पाई। इस दिन से ही निर्जला एकादशी को पाण्डव एकादशी या भीमसेन एकादशी के नाम से भी जाना जाता है।

निर्जला एकादशी व्रत का महत्व

भगवान विष्णु को समर्पित निर्जला एकादशी व्रत नियमपूर्वक रखने से व्यक्ति के न केवल वर्ष भर की सभी एकादशी के व्रत का फल मिलता है बल्कि विष्णु लोक की भी प्राप्ति का द्वार खुल जाता है। व्यक्ति के समस्त पाप कर्म निष्फल हो जाते हैं।

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'

 


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