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Mauna Panchami 2020: आज मौना पंचमी को भगवान शिव के साथ करें नाग देवता की पूजा

Mauna Panchami Vrat 2020 हिन्दू कैलेंडर के अनुसार आज श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि है। आज के दिन हर वर्ष मौना पंचमी मनाई जाती है।

By Kartikey TiwariEdited By: Published: Fri, 10 Jul 2020 10:11 AM (IST)Updated: Fri, 10 Jul 2020 10:11 AM (IST)
Mauna Panchami 2020: आज मौना पंचमी को भगवान शिव के साथ करें नाग देवता की पूजा
Mauna Panchami 2020: आज मौना पंचमी को भगवान शिव के साथ करें नाग देवता की पूजा

Mauna Panchami Vrat 2020: हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, आज श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि है। आज के दिन हर वर्ष मौना पंचमी मनाई जाती है। मौना पंचमी के दिन भगवान शिव और नाग देवता की ​विशेष पूजा अर्चना की जाती है। पूजा में नाग देवता को खीर, सूखे मेवे आदि अर्पित करने की परंपरा है। मौना पंचमी का इसलिए भी महत्व है क्योंकि हर वर्ष झारखंड के देवघर में आज से ही श्रावणी मेले का प्रारंभ होता है। हालांकि कोरोना वायरय से फैली महामारी के कारण इस बार श्रावणी मेले का आयोजन नहीं किया जाएगा।

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मौना पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा के साथ ही भगवान शिव की पूजा करने से व्यक्ति के अंदर आत्मिक प्रसन्नता और सकारात्म​कता का संचार होता है। श्रावण कृष्ण पंचमी को भगवान शिव का जलाभिषेक करने तथा पंचामृत अर्पित करना शुभ और कल्याणकारी माना जाता है।

आज रखें मौन व्रत

मौना पंचमी के दिन व्यक्ति को पूजा अर्चना के बाद मौन व्रत रखना चाहिए। इसे मानसिक शांति प्राप्त होती है। उग्र स्वभाव और क्रोध को नियंत्रित करने में सफलता मिलती है। मौन रखने से संयम और धैर्य में भी वृद्धि होती है। व्यर्थ के बातों से शारीरिक ऊर्जा का ​ह्रास होता है। मौन रखने से शारीरिक ऊर्जा बनी रहती है।

नाग पंचमी

श्रावण मास में भगवान शिव की पूजा होती है साथ ही इस माह में ही नाग पंचमी का भी त्योहार होता है। मौना पंचमी के अलावा नाग पंचमी के दिन भी नागों और सर्पों की पूजा की जाती है। इस वर्ष 25 जुलाई को नाग पंचमी का त्योहार मनाया जाएगा। नाग पंचमी के दिन भारत, नेपाल समेत कुछ देशों में नागों और सांपों की पूजा की जाती है।

हिन्दू धर्म में नागों और सांपों का महत्व इसलिए भी है क्योंकि वे देवी देवताओं से जुड़े हुए हैं। भगवान शिव स्वयं अपने गले में सांप की माला धारण करते हैं, वहीं भगवान श्रीहरि विष्णु क्षीर सागर में शेषनाग की शैय्या पर शयन करते हैं।


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