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Masik Shivratri January 2022: कब है माघ मासिक शिवरात्रि, जानें, पूजा की तिथि, मुहूर्त और विधि

Masik Shivratri January 2022 इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा उपासना की जाती है। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत के पुण्य प्रताप से अविवाहित लड़कियों की शादी शीघ्र हो जाती है। वहीं विवाहित महिलाओं को सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

By Pravin KumarEdited By: Published: Tue, 25 Jan 2022 11:43 AM (IST)Updated: Tue, 25 Jan 2022 04:38 PM (IST)
Masik Shivratri January 2022:  कब है माघ मासिक शिवरात्रि, जानें, पूजा की तिथि, मुहूर्त और विधि
Masik Shivratri January 2022: कब है माघ मासिक शिवरात्रि, जानें, पूजा की तिथि, मुहूर्त और विधि

Masik Shivratri January 2022: हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है। इस प्रकार माघ माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी 30 जनवरी को है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा उपासना की जाती है। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत के पुण्य प्रताप से अविवाहित लड़कियों की शादी शीघ्र हो जाती है। वहीं, विवाहित महिलाओं को सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। शिवजी की पूजा करने से चंद्रमा भी मजबूत होता है। इससे जातक को मनचाहा जीवनसाथी मिलता है। अत: मासिक शिवरात्रि का व्रत जरूर करें। आइए, पूजा की तिथि, मुहूर्त और महत्व जानते हैं-

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पूजा की तिथि और मुहूर्त

हिंदी पंचांग के अनुसार, माघ, कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी 30 जनवरी को संध्यााकाल 5 बजकर 28 मिनट से आरंभ होकर अगले दिन यानी सोमवार 31 जनवरी को दिन में 2 बजकर 18 मिनट पर समाप्त होगी। चूंकि, मासिक शिवरात्रि की पूजा निशा काल में होती है। अत: 30 जनवरी को ही मासिक शिवरात्रि मनाई जाएगी। साधक 30 जनवरी को ही मासिक शिवरात्रि का व्रत रखेंगे।

मासिक शिवरात्रि पूजा विधि

इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर सर्वप्रथम भगवान शिव एवं माता पार्वती को स्मरण और प्रणाम करें। इसके बाद दिन की शुरुआत करें। अब नित्य कर्मों से निवृत होक गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। तत्पश्चात, भगवान शिव एवं माता पार्वती की पूजा दूध, दही, पंचामृत, फल, फूल, धूप, दीप, भांग, धतूरा और बिल्व पत्र से करें। पूजा के समय महामृत्युंजय मंत्र और ॐ नमः शिवाय मंत्रों का एक माला जाप जरूर करें। इसके बाद आरती-अर्चना कर अपनी मनोकामना भगवान शिव से जरूर कहें। अपना क्षमता अनुसार, दिनभर उपवास रखें। व्रती चाहे तो दिन में एक फल और एक बार जल ग्रहण कर सकता है। शाम में पूजा, आरती-अर्चना कर फलाहार करें। अगले दिन पूजा-पाठ संपन्न कर व्रत खोलें। इसके बाद जरूरतमंदों और ब्राह्मणों को दान कर भोजन ग्रहण करें। इस व्रत के पुण्य प्रताप से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'


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