Move to Jagran APP

Masik Durgashtami: मासिक दुर्गाष्टमी पर इस तरह करें पूजा, जरूर पढ़ें व्रत कथा

Masik Durga Ashtami आज माघ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि है। हर माह आज की तिथि पर मासिक दुर्गाष्टमी का व्रत और पूजन किया जाता है। आज के दिन दुर्गा मां की पूजा करने से व्यक्ति को सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Published: Sat, 20 Feb 2021 07:30 AM (IST)Updated: Sat, 20 Feb 2021 10:00 AM (IST)
Masik Durgashtami: मासिक दुर्गाष्टमी पर इस तरह करें पूजा, जरूर पढ़ें व्रत कथा
Masik Durgashtami: मासिक दुर्गाष्टमी पर इस तरह करें पूजा, जरूर पढ़ें व्रत कथा

Masik Durga Ashtami: आज माघ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि है। हर माह आज की तिथि पर मासिक दुर्गाष्टमी का व्रत और पूजन किया जाता है। आज के दिन दुर्गा मां की पूजा करने से व्यक्ति को सुख-समृद्धि प्राप्त होती है। साथ ही मां की कृपा हमेशा भक्तों पर बनी रहती है। मासिक दुर्गाष्टमी पर पूजा कैसे की जाए इसकी जानकारी हम आपको यहां दे रहे हैं। साथ ही पूजा के दौरान व्रत कथा का पाठ भी जरूर करना चाहिए। इसलिए हम आपको व्रत कथा भी बता रहे हैं।

loksabha election banner

मासिक दुर्गाष्टमी व्रत विधि:

इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि से निवृत्त हो जाना चाहिए। इसके बाद पूजा स्थल को गंगाजल डालकर उसे शुद्ध कर लें। इसके बाद एक चौकी यानी लकड़ी का पाटा लें और उस पर लाल वस्त्र बिछाएं। इस पर मां दुर्गा की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। फिर उन्हें अक्षत, सिन्दूर और लाल पुष्प चढ़ाएं। मां को प्रसाद चढ़ाएं। इसमें आप फल और मिठाई कुछ भी चढ़ा सकते हैं। मां के समक्ष धूप और दीपक जलाएं। फिर दुर्गा चालीसा का पाठ करें। मां की आरती करें। मां से हाथ जोड़कर प्रार्थना करें कि आपकी इच्छा पूरी हो।

दुर्गाष्टमी की व्रत कथा:

पौराणिक कथाओं के अनुसार, पृथ्वी पर असुर सदियों पर बेहद शक्तिशाली हो गए थे। वे स्वर्ग पर आधिपत्य स्थापित करने के लिए चढ़ाई करने लगे थे। उन्होंने कई देवताओं को मार डाला था। स्वर्ग में तबाही मचा दी थी। इन्हीं असुरों में एक सबसे शक्तिशाली असुर महिषासुर था। इसका वध करने के लिए ब्रह्मा-विष्णु-महेश ने शक्ति स्वरूप देवी दुर्गा को बनाया। देवी दुर्गा को हर देवता ने अपने-अपने विशेष हथियार दिए। मां दुर्गा ने असुरों का संहार किया। असुरों की सेना से युद्ध करने के बाद मां दुर्गा ने महिषासुर का वध किया। तब से दुर्गा अष्टमी का पर्व किया जाना शुरू हुआ।

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।' 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.