Masik Durgashtami 2022: मासिक दुर्गा अष्टमी पर बन रहा खास संयोग, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
Masik Durgashtami 2022 हर मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी को मासिक दुर्गाष्टमी का व्रत रखा जाता है। इस बार आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि में दुर्गा अष्टमी बढ़ रही है। इसलिए यह काफी खास है। जानिए मासिक दुर्गाष्टमी का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।
नई दिल्ली, Masik Durgashtami July 2022: पंचांग के अनुसार, हर मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन मासिक दुर्गाष्टमी का व्रत रखा जाता है। इस दिन मां दुर्गा की विधिवत पूजा करने के साथ व्रत रखा जाता है। इस बार मासिक दुर्गाष्टमी गुप्त नवरात्रि में पड़ रही है। ऐसे में इस व्रत का महत्व और अधिक बढ़ गया है। आषाढ़ मास की अष्टमी तिथि को दुर्गाष्टमी पड़ रही है। आज के दिन मां दुर्गा की विधि-विधान से पूजा अर्चना करने का विधान है। मान्यता है कि दुर्गाष्टमी के दिन जो भी श्रद्धा भाव के साथ विधिवत तरीके से मां दुर्गा की पूजा-अर्चना करता है, तो उसकी हर मनोकामना पूर्ण हो जाती है और कष्टों से छुटकारा मिल जाता है और हमेशा सुख-समृद्धि, सौभाग्य की प्राप्ति होती है। अष्टमी तिथि पर दुर्गा उपासना करने से लंबी आयु की प्राप्ति होती है। जानिए मासिक दुर्गाष्टमी का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।
मासिक दुर्गाष्टमी का मुहूर्त
आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि प्रारंभ- 6 जुलाई को सुबह 10 बजकर 18 मिनट पर शुरू
आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि समाप्त- 07 जुलाई को सुबह 09 बजकर 58 मिनट पर समाप्त
उदया तिथि के आधार पर मासिक दुर्गाष्टमी व्रत 07 जुलाई को रखा जाएगा।
शिव योग- प्रात:काल से लेकर रात 11 बजकर 31 मिनट तक
रवि योग- 08 जुलाई को सुबह 02 बजकर 44 मिनट से सुबह 5 बजकर 53 मिनट तक
अभिजीत मुहूर्त- दोपहर 12 बजकर 31 मिनट से दोपहर 01 बजकर 31 मिनट तक
परिघ योग - 6 जुलाई सुबह 11 बजकर 42 मिनट से 7 जुलाई सुबह 10 बजकर 38 मिनट तक
मासिक दुर्गाष्टमी की पूजा विधि
- मासिक दुर्गाष्टमी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर सभी कामों ने निवृत्त होकर स्नान कर लें।
- स्नान के बाद साफ सुथरे वस्त्र धारण करके मां दुर्गा का मनन करते हुए व्रत का संकल्प लें।
- अब पूजा घर में एक चौकी में लाल रंग का कपड़ा बिछाकर मां दुर्गा की मूर्ति या फिर तस्वीर स्थापित कर दें।
- अब मां दुर्गा की पूजा आरंभ करें। सबसे पहले शुद्धिकरण करते हुए आसन बिछाकर बैठ जाएं।
- अब फूल की मदद से थोड़ा सा जल छिड़के। इसके बाद फूल, माला चढ़ाएं।
- फिर सिंदूर के साथ चुनरी सहित अन्य सोलह श्रृंगार चढ़ा दें।
- भोग के लिए मिठाई के साथ एक पान में एक सुपारी, 1 इलायची, 2 लौंग, 2 बताशा और एक रुपए रखकर चढ़ा दें। इसके बाद जल दें।
- अब घी का दीपक, धूप आदि जला लें और श्रद्धाभाव के साथ मां का स्मरण करते हुए दुर्गा चालीसा का पाठ कर लें।
- अंत में माता रानी की आरती कर लें।
- अंत में भूल चूक के लिए माफी मांगते हुए प्रसाद सबको बांट दें।
- दिनभर फलाहारी व्रत रखने के बाद नवमी तिथि को स्नान, पूजा पाठ करके व्रत खोलें।
Pic Credit- instagram/mataji_ka_bhakat
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