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Makar Sankranti 2020: मकर संक्रांति पर बाबा गोरखनाथ को क्यों चढ़ाते ​हैं खिचड़ी? पढ़ें यह कथा

Makar Sankranti 2020 Baba Gorakhnath मकर संक्रांति के दिन गोरखपुर में बाबा गोरखनाथ मंदिर में आदियोगी गोरक्षनाथ को खिचड़ी चढ़ाने की परंपरा है जो त्रेता युग से चली आ रही है।

By Kartikey TiwariEdited By: Published: Wed, 15 Jan 2020 12:06 PM (IST)Updated: Wed, 15 Jan 2020 12:11 PM (IST)
Makar Sankranti 2020: मकर संक्रांति पर बाबा गोरखनाथ को क्यों चढ़ाते ​हैं खिचड़ी? पढ़ें यह कथा
Makar Sankranti 2020: मकर संक्रांति पर बाबा गोरखनाथ को क्यों चढ़ाते ​हैं खिचड़ी? पढ़ें यह कथा

Makar Sankranti 2020 Baba Gorakhnath: मकर संक्रांति के दिन गोरखपुर में बाबा गोरखनाथ मंदिर में आदियोगी गोरक्षनाथ को खिचड़ी चढ़ाने की परंपरा है, जो त्रेता युग से चली आ रही है। मकर संक्रांति के दिन गोरखनाथ मंदिर के महंत सबसे पहले बाबा गोरक्षनाथ को खिचड़ी चढ़ाते हैं। उसके बाद नेपाल राजघराने की खिचड़ी चढ़ाई जाती है। मकर संक्रांति के दिन बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी ही क्यों अर्पित की जाती है, इसके संदर्भ में एक पौराणिक कथा है।

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बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी चढ़ाने की कथा

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, एक बार गुरु गोरखनाथ भिक्षाटन करते हुए हिमाचल प्रदेश के कागड़ा जिले के मशहूर ज्वाला देवी मंदिर में चले गए। वहां बाबा गोरखनाथ ने अपनी भक्ति से देवी को प्रसन्न कर दिया, जिससे वे प्रकट होकर उनको भोजन का निमंत्रण दिया। वहां पर विभिन्न तरह के परोसे गए व्यंजन को बाबा गोरखनाथ ने ग्रहण करने से इनकार कर दिया। उन्होंने भिक्षा में प्राप्त चावल-दाल से बना भोजन ग्रहण करने की बात कही।

बाबा गोरखनाथ ने देवी को भोजन बनाने के लिए पानी गर्म करने को कहकर वहां से भिक्षाटन के लिए निकल गए। वे भिक्षा मांगते हुए गोरखपुर के पास राप्ती और रोहिणी नदी के संगम पर आ गए। उन्होंने वहीं पर अपना अक्षय पात्र रख दिया और साधनारत हो गए। उस समय मकर संक्रांति का पर्व आया तो लोगों ने बाबा के पात्र में चावल दाल डालने लगे। वह पात्र भरता ही नहीं था। लोगों ने इसे चमत्कार मानकर उनकी पूजा प्रारंभ कर दी। उसके बाद से बाबा गोरखनाथ वहीं के होकर रह गए। उनके नाम पर ही गोरखपुर का नाम पड़ा। इस घटना के बाद से हर मकर संक्रांति पर बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी चढ़ाई जाने लगी। ऐसी मान्यता है कि बाबा गोरखपुर आ गए, उधर ज्वाला देवी मंदिर में आज भी उनकी प्रतीक्षा में भोजन के लिए पानी खौल रहा है।

हर मनाकामनाएं पूरी करते हैं बाबा गोरखनाथ

लोगों की मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी चढ़ाने से उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। बाबा गोरखनाथ ने भारतवर्ष में नाथ परंपरा को आगे बढ़ाया।

बाबा गोरखनाथ को लगता है महारोट का भोग

मकर संक्रांति के दिन मंदिर के महंत बाबा गोरखनाथ को महारोट का भोग लगाते हैं। बाद में इसे प्रसाद स्वरुप भक्तों में बांटा जाता है। महारोट देशी घी और आटे से बना हुआ प्रसाद होता है।

गोरखनाथ मंदिर

बाबा गोरखनाथ को गोरक्षनाथ भी कहा जाता है। बाबा गोरखनाथ का एक मात्र प्रसिद्ध मंदिर गोरखपुर मे स्थित है। सभी दसनामी और नाथ संप्रदाय के लोगों के लिए इस मंदिर का बहुत महत्व है। मुगलों ने इस मंदिर को कई बार क्षति पहुंचाई, लेकिन हर बार इसका ​दोबारा निर्माण करा लिया गया। साधुओं ने इसकी बार-बार रक्षा की।

खिचड़ी का मेला

गोरखनाथ मंदिर परिसर में मकर संक्रांति के दिन मेला लगता है। जो पूरे एक माह तक चलता है। खिचड़ी के दिन से शुरू हुए मेले का समापन महाशिवरात्रि के दिन होता है।


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