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Makar Sankranti Date: मकर संक्रांति आज मनाएं, जानें क्या है सूर्य के उत्तरायण होने का अ​र्थ

Makar Sankranti 2020 Date मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाना सही है। दरअसल जब सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो मकर संक्रांति होती है।

By Kartikey TiwariEdited By: Published: Tue, 14 Jan 2020 10:54 AM (IST)Updated: Wed, 15 Jan 2020 08:29 AM (IST)
Makar Sankranti Date: मकर संक्रांति आज मनाएं, जानें क्या है सूर्य के उत्तरायण होने का अ​र्थ
Makar Sankranti Date: मकर संक्रांति आज मनाएं, जानें क्या है सूर्य के उत्तरायण होने का अ​र्थ

Makar Sankranti 2020 Date: लोगों में मकर संक्राति को लेकर असमंजस की स्थिति थी। लोगों के मन में सवाल था कि मकर संक्रांति 14 को मनाएं या 15 को? हालांकि देश में कई जगहों पर लोगों ने मकर संक्रांति 14 को भी मनाई। आइए जानते हैं कि इस वर्ष 2020 में मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाना सही है या 15 जनवरी को। दरअसल जब सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो मकर संक्रांति मनाई जाती है। सूर्य देव आज देर रात में मकर राशि में प्रवेश किए हैं, ऐसे में स्नान, दान आदि सूर्योदय के बाद ही करना होगा। इस कारण से आपको मकर संक्रांति 15 जनवरी यानी आज मानानी चाहिए।

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मकर संक्रांति का मुहूर्त

सूर्य देव आज देर रात 02 बजकर 08 मिनट पर प्रवेश कर रहे हैं। इसके साथ ही वे 6 माह के लिए दक्षिणायन से उत्तरायण हो जाएंगे। आपको सूर्योदय के बाद 07:15 बजे से स्नान करने के पश्चात दान और सूर्य देव की पूजा करनी चाहिए। मकर संक्रांति का पुण्य काल सूर्योदय से सूर्यास्त तक रहेगा। आप इस बीच स्नान, दान और पूजा कर सकते हैं।

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सूर्य देव के उत्तरायण और दक्षिणायन होने का अर्थ

सूर्य देव जब मकर राशि में प्रवेश करके कर्क राशि की ओर जाते हैं, तो व​ह उत्तरायण कहलाता है। जब वे कर्क रा​शि में प्रवेश करके मकर की ओर गमन करते हैं तो वह दक्षिणायन कहलाता है। सूर्य देव मकर से मिथुन तक की 6 राशियों में 6 महीने तक उत्तरायण रहते हैं तथा कर्क से धनु तक की 6 राशियों में 6 महीने तक वे दक्षिणायन रहते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सूर्य देव के दक्षिणायन और उत्तरायण होने से ही देवताओं का दिन और रात तय होता है। उत्तरायण देवताओं का दिन और दक्षिणायन देवताओं की रात्रि माना गया है। इस प्रकार देवताओं के लिए 6 माह का एक दिन और 6 माह का एक रात हुआ।

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उत्तरायण और दक्षिणायन में अंतर

एक वर्ष में दो सं​क्रांति होते हैं। इसे उत्तरायण संक्रांति और दक्षिणायन संक्रांति कहा जाता है। उत्तरायण संक्रांति ग्रीष्म काल और दक्षिणायन संक्रांति शीत काल से जुड़ा है। उत्तरायण संक्रांति को सकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है। उत्तरायण में दिन लंबे होते हैं तथा रातें छोटी होती हैं। वहीं, दक्षिणायन में दिन छोटे और रा​तें लंबी होती हैं।


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