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Magh Maas 2020 Prarambh: 11 जनवरी से माघ मास प्रारंभ, स्नान मात्र से होगी स्वर्ग की प्राप्ति लेकिन यह कार्य न करें

Magh Maas 2020 Prarambh माघ मास का प्रारंभ 11 जनवरी 2020 दिन शनिवार से होगा जो 09 फरवरी 2020 दिन रविवार तक रहेगा।

By Kartikey TiwariEdited By: Published: Wed, 08 Jan 2020 01:11 PM (IST)Updated: Wed, 08 Jan 2020 01:12 PM (IST)
Magh Maas 2020 Prarambh: 11 जनवरी से माघ मास प्रारंभ, स्नान मात्र से होगी स्वर्ग की प्राप्ति लेकिन यह कार्य न करें
Magh Maas 2020 Prarambh: 11 जनवरी से माघ मास प्रारंभ, स्नान मात्र से होगी स्वर्ग की प्राप्ति लेकिन यह कार्य न करें

Magh Maas 2020 Prarambh: भारतीय संवत्सर का 11वां चंद्र मास और 10वां सौर मास 'माघ' कहलाता है। इस महीने में मघा नक्षत्र युक्त पूर्णिमा होने के कारण ही इसका नाम माघ पड़ा। माघ मास का प्रारंभ 11 जनवरी 2020 दिन शनिवार से होगा, जो 09 फरवरी 2020 दिन रविवार तक रहेगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, माघ मास में स्नान मात्र से ही स्वर्ग की प्राप्ति होती है। माघ मास का धार्मिक महत्व बहुत है। इस मास में कुछ कार्य वर्जित माने गए हैं।

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ज्योतिषाचार्य पं. गणेश प्रसाद मिश्र से जानते हैं कि माघ मास का धार्मिक महत्व क्या है और माघ मास में किन कार्यों को भूलकर भी नहीं करना चाहिए। ज्योतिषाचार्य मिश्र बताते हैं कि माघ मास में शीतल जल के भीतर डुबकी लगाने वाले मनुष्य पाप से मुक्त होकर स्वर्ग लोक में जाते हैं-

'माघे निमग्नाः सलिले सुशीते विमुक्तपापास्त्रिदिवं प्रयान्ति।'

स्नान मात्र से प्रसन्न होते हैं श्रीहरि विष्णु

पद्मपुराण के उत्तरखण्ड में माघ मास के महत्व को बताते हुए कहा गया है कि व्रत, दान, और तपस्या से भी भगवान श्रीहरि विष्णु को उतनी प्रसन्नता नहीं होती, जितनी कि माघ महीने में स्नान मात्र से होती है। इसलिए स्वर्ग लाभ, सभी पापों से मुक्ति और भगवान वासुदेव की प्रीति प्राप्त करने के लिए प्रत्येक मनुष्य को माघ स्नान करना चाहिए।

माघमास में पूर्णिमा के दिन, जो व्यक्ति ब्रह्मवैवर्तपुराण का दान करता है, उसे ब्रह्मलोक की प्राप्ति होती है।

पुराणं ब्रह्मवैवर्तं यो दद्यान्माघमासि च।

पौर्णमास्यां शुभदिने ब्रह्मलोके महीयते।।(मत्स्यपुराण 53/35)

माघ अमावस्या को प्रयागराज में तीर्थों का समागम

माघ मास की अमावस्या को प्रयागराज में 3 करोड़ 10 हजार अन्य तीर्थों का समागम होता है। जो नियमपूर्वक व्रत का पालन करता है और माघ मास में प्रयाग में स्नान करता है, वह सभी पापों से मुक्त हो जाता है और स्वर्ग में जाता है।

हर जल होता है गंगा जल

माघ मास की ऐसी विशेषता है कि इसमें जहां-कहीं भी जल हो, वह गंगाजल के समान होता है, फिर भी प्रयाग, काशी, नैमिषारण्य, कुरुक्षेत्र, हरिद्वार तथा अन्य पवित्र तीर्थों और नदियों में स्नान का बड़ा महत्व है। साथ ही मन की निर्मलता एवं श्रद्धा भी आवश्यक है।

माघ में दान की वस्तुएं

माघ मास में कंबल, लाल कपड़ा, ऊन, रजाई, वस्त्र, स्वर्ण, जूता-चप्पल एवं सभी प्रकार की चादरों का दान करना चाहिए। दान देते समय 'माधवः प्रियताम्' जरूर कहना चाहिए। इसका अर्थ है- 'माधव' (भगवान कृष्ण) अनुग्रह करें।

माघ मास में क्या करें

माघ मास में स्नान करने से पूर्व तथा स्नान के बाद आग नहीं सेंकना चाहिए। माघ मास में व्रत करने वाले लोगों को भूमि पर सोना, प्रतिदिन हवन, हविष्य भोजन, ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। ऐसा करने से मनुष्य को महान अदृष्ट फल की प्राप्ति होती है।

माघ मास में मूली का सेवन वर्जित

माघ मास में मूली नहीं खाना चाहिए। मूली का सेवन मदिरा सेवन की तरह मदवर्धक माना जाता है। अतः मूली को स्वयं न तो खाना चाहिए न तो देव या पितृकार्य में उपयोग में ही लाना चाहिए। माघ मास में तिल अवश्य खाना चाहिए। तिल सृष्टि का प्रथम अन्न है।

निर्णय सिन्धु के अनुसार, जो व्यक्ति पूरे माघ मास स्नान व्रत का पालन न कर पाए तो उसे कम से कम 3 दिन या एक दिन माघ स्नान व्रत का पालन करना चाहिए।

'मासपर्यन्तं स्नानासम्भवे तु त्र्यहमेकाहं वा स्न्नायात्।'


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