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अनिष्ट के देवता नहीं हैं शनि श्रद्घा पूर्वक पूजा से करें प्रसन्न

बहुत से लोग भय से शनिदेव की पूजा करते हैं परंतु वे कतर्इ अनिष्ट के देवता नहीं है इसलिए शनिवार को विधि विधान से पूजन करके उन्हें प्रसन्न करें।

By Molly SethEdited By: Published: Fri, 30 Nov 2018 04:06 PM (IST)Updated: Sat, 09 Mar 2019 09:30 AM (IST)
अनिष्ट के देवता नहीं हैं शनि श्रद्घा पूर्वक पूजा से करें प्रसन्न
अनिष्ट के देवता नहीं हैं शनि श्रद्घा पूर्वक पूजा से करें प्रसन्न

खत्‍म भी होता है शनि का प्रभाव

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नव ग्रहों में सातवें ग्रह माने जाने वाले शनिदेव से लोग सबसे ज्‍यादा डरते जरूर हैं लेकिन वह किसी का बुरा नहीं करते हैं। वह लोगों के कर्मों के हिसाब से उनके साथ न्‍याय करते हैं। शायद इसलिए उन्‍हें न्‍यायाधीश के रूप में भी पहचाना जाता है। शनिवार को शनिदेव की पूजा करने से व्यक्ति पर से साढ़ेसाती और ढैया समाप्‍त हो जाती है। इसके अलावा कुंडली में मौजूद कमजोर शनि का प्रभाव भी खत्‍म हो जाता है। 

अनिष्‍ट नहीं करते शनि

ऐसा समझा जाता है कि शनिदेव अनिष्‍टकारी, दुखदायक और अशुभ के प्रतीक हैं, परंतु ये सच नहीं है। वास्‍तव में वे सकारात्‍मक प्रभाव वाले न्‍याय और संतुलन करने वाले ग्रह हैं। शनिवार के दिन उनको संतुष्‍ट करने के लिए शुद्ध मन और विधि विधान से पूजा करनी चाहिए। उनकी पूजा का एक विशेष तरीका है जिसका पालन करना जरूरी है। 

व्रत से होते हैं प्रसन्‍न

शास्‍त्रों के मुताबिक शनिदेव सूर्य देव और देवी छाया के पुत्र हैं। इनका जन्म ज्येष्ठ मास की अमावस्या हुआ था। शुद्ध मन से प्रत्‍येक शनिवार को व्रत रखने से शनि अत्‍यंत प्रसन्‍न होते हैं। ऐसा करने वालों पर उनकी कुपित दृष्‍टि नहीं पड़ती। 

ऐसे करें पूजा  

याद रखें कि शनि में श्रद्धा रखने वाले किसी भी शनिवार से उनका व्रत एवम् पूजन शुरू कर सकते हैं। शनिदेव की पूजा के लिए शनिवार को व्रत का संकल्प लेकर नहा-धोकर काले वस्त्र धारण कर पूजा शुरु करें। इस दिन सरसों या तिल के तेल से दिया जला शनिदेव को अर्पित करें। इसके साथ ही शनिदेव को तिल, काली उदड़ या कोई भी काली वस्तु भेंट में चढ़ायें। शनि गायत्री मंत्र और शनि चालीसा आदि का जाप करें। खास बात ये है कि शनि चालिसा में आपको शनि को शांत रखने के समस्‍त उपाय मिल जायेंगे।


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