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जानें-हनुमान जी को क्यों चढ़ता है सिंदूर

एक दिन हनुमान जी शरीर पर सिंदूर लगाकर दरबार में भी पहुंच जाते हैं। यह देख भगवान श्रीराम उनसे सिंदूर लगाने का औचित्य पूछते हैं। उस वक्त हनुमान जी कहते हैं-हे प्रभु! मां ने कहा है कि सिंदूर लगाने से स्नेह बढ़ता है।

By Umanath SinghEdited By: Published: Mon, 17 Jan 2022 01:47 PM (IST)Updated: Tue, 18 Jan 2022 09:14 AM (IST)
जानें-हनुमान जी को क्यों चढ़ता है सिंदूर
जानें-हनुमान जी को क्यों चढ़ता है सिंदूर

मंगलवार का दिन हनुमान जी को समर्पित होता है। इस दिन हनुमान जी की पूजा-उपासना की जाती है। ऐसा कहा जाता है कि त्रेता युग के ज्येष्ठ महीने में ही राम जी का मिलन हनुमान से हुआ था। इसके बाद हनुमान जी ने अपने प्रभु श्रीराम की मुलाकात वानर राज सुग्रीव से कराई थी, जो अपने बड़े भाई के डर से छुपा था। रामायण और रामचरित मानस में भगवान श्रीराम और हनुमान जी के बारे में विस्तार से बताया गया है। लेकिन क्या आपको पता है कि हनुमान जी को सिंदूर क्यों चढ़ाया जाता है ? आइए जानते हैं-

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क्या है कथा

रामचरित मानस महाकाव्य में वर्णित है कि एक बार संध्याकाल में माता सीता श्रृंगार कर रही थी। उसी वक्त हनुमान जी भी पहुंच गए। माता को श्रृंगार करने के दौरान माँग में सिंदूर लगाने का तात्पर्य जानने की इच्छा जताई। यह सुन माता बोली-माँग में सिंदूर लगाने से रामजी के प्रति स्नेह बढ़ता है। साथ ही उनकी आयु भी बढ़ती है। यह सोच हनुमान जी सोचने लगे-अगर माता जरा सा सिंदूर लगाती हैं, तो इतना स्नेह मिलता है। अगर मैं अपने समस्त शरीर पर सिंदूर लगाता हूं, तो रामजी से उनका स्नेह और बढ़ जाएगा। यह सोच हनुमान जी तत्काल समस्त शरीर में सिंदूर लगा लेते हैं।

एक दिन हनुमान जी शरीर पर सिंदूर लगाकर दरबार में भी पहुंच जाते हैं। यह देख भगवान श्रीराम उनसे सिंदूर लगाने का औचित्य पूछते हैं। उस वक्त हनुमान जी कहते हैं-हे प्रभु! मां ने कहा है कि सिंदूर लगाने से स्नेह बढ़ता है। माता सीता भी प्रतिदिन माँग में सिंदूर लगाती हैं। अब मैं समस्त शरीर में सिंदूर लगाने लगा हूं। इससे आपकी आयु भी बढ़ेगी। यह सुन रामजी अपने परम भक्त हनुमान जी को गले लगा लेते हैं। तत्कालीन समय से हनुमान जी को सिंदूर चढ़ाया जाता है।

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'


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