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जानें, शुभ कार्य के पहले क्यों करते हैं गणेश पूजन

किदवंती है कि दैविक काल में एक बार श्रेष्ठता को लेकर देवताओं के विचारों में मतभेद हो गया। सभी स्वंय को श्रेष्ठ बताने लगे और प्रथम पूजे जाने की बात करने लगे। महर्षि नारद भी इस धर्म युद्ध में उपस्थित थे।

By Umanath SinghEdited By: Published: Mon, 03 Jan 2022 01:08 PM (IST)Updated: Thu, 10 Feb 2022 09:47 AM (IST)
जानें, शुभ कार्य के पहले क्यों करते हैं गणेश पूजन
जानें, शुभ कार्य के पहले क्यों करते हैं गणेश पूजन

सनातन धर्म में भगवान श्री गणेश की सबसे पहले पूजा की जाती है। आसान शब्दों में कहें तो किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत श्री गणेशाय नमः से होती है। तत्पश्चात, सभी देवी-देवताओं की पूजा करने का विधान है। दैविक काल से बुधवार के दिन विघ्नहर्ता गणेश जी की पूजा-उपासना की जाती है। ऐसी मान्यता है कि भगवान गणेश की पूजा-वंदना करने से साधक के जीवन में सुख और समृद्धि का आगमन होता है। साथ ही सभी दुखों का नाश होता है। लेकिन क्या आपको पता है कि शुभ कार्य करने से पहले क्यों सर्वप्रथम भगवान गणेश की पूजा की जाती है? आइए, इसकी कथा जानते हैं-

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क्या है कथा

किदवंती है कि दैविक काल में एक बार श्रेष्ठता को लेकर देवताओं के विचारों में मतभेद हो गया। सभी स्वंय को श्रेष्ठ बताने लगे और प्रथम पूजे जाने की बात करने लगे। महर्षि नारद भी इस धर्म युद्ध में उपस्थित थे। उस समय नारद जी ने तर्क प्रस्तुत किया कि क्यों नहीं! इसका उत्तर देवों के देव महादेव से जानने की कोशिश की जाए। यह सुन सभी देवी-देवता भगवान महादेव के पास पहुचें।

भगवान शिव ने सभी की बात ध्यान से सुनकर कहा-आप सभी अपने वाहनों पर सवार होकर ब्रह्मांड की परिक्रमा कर आएं। आप सभी में जो सर्वप्रथम ब्रह्मांड की परिक्रमा कर लौटेंगे। उन्हें ही विजयश्री मिलेगी और उनकी पूजा सबसे पहले की जाएगी। यह सुन सभी देवता अपने वाहन पर सवार होकर परिक्रमा के लिए चल पड़े। इस प्रतियोगिता में भगवान गणेश भी शामिल थे, लेकिन उन्होंने ब्रह्मांड की परिक्रमा नहीं की।

इसके बदले में उन्होंने केवल माता पार्वती और भगवान शिव की परिक्रमा कर हाथ जोड़कर आदिशक्ति और देवों के देव महादेव को प्रणाम किया। कुछ समय बाद जब एक के बाद एक देवता ब्रह्मांड की परिक्रमा कर लौटे। उस समय महादेव ने भगवान गणेश को विजेता घोषित कर दिया। यह सुन आश्चर्य होकर महादेव को देखने लगे। तब महादेव ने कहा-माता-पिता से बढ़कर कोई नहीं है। जब आप माता-पिता की परिक्रमा कर लेते हैं, तो आपको अन्य परिक्रमा की जरुरत नहीं पड़ती है। अतः आज से भगवान गणेश की सर्वप्रथम पूजा की जाएगी। कालांतर से सभी शुभ कार्य में सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है।

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'


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