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जानिए, सकट या तिल कूट संकष्टी चतुर्थी की व्रत कथा

किदवंती है कि एक बार माता पार्वती स्नान करने गई। उसी समय उन्होंने बाल्य गणेश को यह कहकर स्नान गृह के दरवाजे पर खड़ा कर दिया कि जब तक मैं स्नान कर बाहर न आऊं। बाल्य गणेश स्नान गृह के बाहर दरबानी बन पहरा देने लगे।

By Umanath SinghEdited By: Published: Tue, 18 Jan 2022 11:28 AM (IST)Updated: Tue, 18 Jan 2022 11:28 AM (IST)
जानिए, सकट या तिल कूट संकष्टी चतुर्थी की व्रत कथा
जानिए, सकट या तिल कूट संकष्टी चतुर्थी की व्रत कथा

21 जनवरी को सकट या तिल कूट संकष्टी चतुर्थी है। यह तिथि हर वर्ष माघ माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को पड़ती है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा-उपासना की जाती है। ज्योतिषों की मानें तो सकट या तिल कूट संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने से व्रती के बच्चे दीर्घायु होते हैं। ऐसी मान्यता है कि सकट माता बच्चों की रक्षा करती हैं। इसके लिए सकट चौथ का व्रत रखा जाता है। सकट या तिल कूट संकष्टी चतुर्थी की कई कथाएं हैं। इन कथाओं का पाठ सकट चौथ पूजा के दौरान किया जाता है। आइए, सकट चौथ की कथा जानते हैं-

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सकट या तिल कूट संकष्टी चतुर्थी की कथा

किदवंती है कि एक बार माता पार्वती स्नान करने गई। उसी समय उन्होंने बाल्य गणेश को यह कहकर स्नान गृह के दरवाजे पर खड़ा कर दिया कि जब तक मैं स्नान कर बाहर न आऊं। बाल्य गणेश स्नान गृह के बाहर दरबानी बन पहरा देने लगे। तभी भगवान शिव किसी जरूरी कार्य से माता पार्वती को ढूंढ रहे थे। यह वक्त माता पार्वती के स्नान का था। यह सोच भगवान शिवजी स्नान गृह आ पहुंचें। यह देख बाल्य गणेश ने उन्हें स्नान घर में जाने से रोका। इससे भगवान शिव रुष्ट हो गए। उन्होंने बाल्य गणेश को मनाने की कोशिश की, लेकिन भगवान गणेश नहीं मानें।

बाल्य गणेश ने कहा-मां का आदेश है, जब तक वह बाहर नहीं आ जाती हैं। तब तक कोई अंदर नहीं जा सकता है। यह सुन भगवान शिव क्रोधित हो उठे और त्रिशूल से प्रहार कर बाल्य गणेश का मस्तक को धड़ से अलग कर दिया। बाल्य गणेश की चीख से माता पार्वती दौड़कर बाहर आई। अपने पुत्र को मृत देख माता पार्वती रोने लगी।

समस्त लोकों में हाहाकार मच गया। तब भगवान शिव को अपनी गलती का अहसास हुआ। माता ने भगवान शिव से पुत्र के प्राण वापस देने की याचना की। यह कार्य विष्णु जी ने पूर्ण किया। जब उत्तर की दिशा में बैठे ऐरावत का सर धड़ से अलगकर उन्होंने भगवान गणेश जी को लगा दिया। इससे भगवान गणेश जीवित हो उठे। कालांतर से महिलाएं बच्चों के दीर्घायु होने के लिए सकट चौथ का व्रत करती हैं।

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'


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