Shattila Ekadashi 2022 Date: जानें, षटतिला एकादशी की कथा और व्रत महत्व
Shatila Ekadashi 2022 षटतिला एकादशी की तिथि 28 जनवरी को देर रात 02 बजकर 16 मिनट पर शुरू होकर 28 जनवरी को रात्रि में 11 बजकर 35 मिनट पर समाप्त होगी। अतः व्रती 28 जनवरी को एकादशी व्रत रख भगवान श्रीविष्णु की पूजा-आराधना कर सकते हैं।
Shatila Ekadashi 2022: 28 जनवरी को षटतिला एकादशी है। इस दिन भगवान श्रीहरि विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा उपासना की जाती है। षटतिला एकादशी की तिथि 28 जनवरी को देर रात 02 बजकर 16 मिनट पर शुरू होकर 28 जनवरी को रात्रि में 11 बजकर 35 मिनट पर समाप्त होगी। अतः व्रती 28 जनवरी को एकादशी व्रत रख भगवान श्रीविष्णु की पूजा-आराधना कर सकते हैं। धार्मिक मान्यता है कि षटतिला एकादशी करने से व्यक्ति के सभी पापों का नाश होता है। साथ ही व्यक्ति को पृथ्वी लोक पर सभी सुखों और मरणोपरांत मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस एकादशी को पापहारिणी एकादशी भी कहा जाता है। ज्योतिषों की मानें तो इस दिन तिल दान या तिलांजलि करने से व्यक्ति को पाप कर्मों से मुक्ति मिलती है। आइए, षटतिला एकादशी की कथा जानते हैं-
षटतिला एकादशी की व्रत कथा
चिरकाल में एक बार नारद जी ने भगवान श्रीहरि विष्णु जी से षटतिला एकादशी व्रत की महिमा और कथा जानने की इच्छा जताई। उस समय विष्णु जी ने कहा-हे महर्षि! एक समय की बात है। पृथ्वी लोक पर एक ब्राह्मणी नित्य-प्रतिदिन मेरी पूजा-आराधना करती थी। वह सभी नियमों का पालन करती थी। उस ब्राह्मणी की भक्ति से मैं बहुत प्रसन्न था। एक बार ब्राह्मणी ने एक महीने तक लगातार मेरी कठिन भक्ति की। इस दौरान ब्राह्मणी ने पूजा, जप और तप किया, लेकिन दान नहीं किया। कठिन भक्ति की वजह से वह दुर्बल हो गई।
उस समय मैंने सोचा-कठिन भक्ति से ब्राह्मणी ने वैकुण्ठ लोक तो प्राप्त कर ली है, लेकिन दान न देने की वजह से विष्णुलोक में तृप्ति नहीं मिलेगी। यह जान मैं साधु रूप धारण कर उसके पास भिक्षा मांगने गया। उस समय ब्राह्मणी ने मुझे दान में मिटटी का एक पिंड दिया। कुछ दिनों के बाद ब्राह्मणी की मृत्यु हो गई। जब वह वैकुंठ पहुंची, तो उसे एक कुटिया मिला, लेकिन कुटिया में कुछ भी नहीं था।
यह देख ब्राह्मणी बोली-हे प्रभु! मैंने आपकी इतनी भक्ति की और वैकुंठ में केवल कुटिया दिया गया। तब मैंने उस ब्राह्मणी से कहा-हे देवी! आपने पूजा, भक्ति तो की, लेकिन किसी को दान नहीं दिया। अतः आपको वैकुंठ में केवल कुटिया मिला। उस समय ब्राह्मणी ने उपाय जानना चाहा। यह सुन भगवान विष्णु बोले-जब देव कन्याएं आएं, तो उनसे षटतिला एकादशी व्रत करने की विधि पूछना। कालांतर में ब्राह्मणी ने षटतिला एकादशी व्रत किया। इस व्रत के पुण्य-प्रताप से ब्राह्मणी को वैकुंठ में सभी चीजों की प्राप्ति हुई। यह सुन नारद जी-आपकी लीला अपरंपार है, प्रभु! नारायण, नारायण!
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