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Ratha Saptami 2022: जानें, रथ सप्तमी की कथा और व्रत उपासना के लाभ

Ratha Saptami 2022 द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र साम्ब कोढ़ रोग से पीड़ित थे। कालांतर में साम्ब ने मित्रवन में चंद्रभागा नदी के संगम पर तट स्थल पर सूर्य देव की कठिन तपस्या की। इससे प्रसन्न होकर सूर्य देव ने साम्ब को कुष्ट रोग से मुक्त कर दिया।

By Pravin KumarEdited By: Published: Thu, 27 Jan 2022 09:30 PM (IST)Updated: Mon, 07 Feb 2022 08:27 AM (IST)
Ratha Saptami 2022:  जानें, रथ सप्तमी की कथा और व्रत उपासना के लाभ
Ratha Saptami 2022: जानें, रथ सप्तमी की कथा और व्रत उपासना के लाभ

Ratha Saptami 2022: आज रथ सप्तमी है। शास्त्रों में निहित है कि रथ सप्तमी के दिन सूर्य देव का प्रादुर्भाव हुआ है। इसके लिए रथ सप्तमी को सूर्य जयंती भी कहते हैं। ऐसी मान्यता है कि सूर्य देव की पूजा उपासना करने वाले व्यक्ति के सभी शारीरिक कष्ट दूर हो जाते हैं। द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र साम्ब कोढ़ रोग से पीड़ित थे। कालांतर में साम्ब ने मित्रवन में चंद्रभागा नदी के संगम पर तट स्थल पर सूर्य देव की कठिन तपस्या की। इससे प्रसन्न होकर सूर्य देव ने साम्ब को कुष्ट रोग से मुक्त कर दिया था। तदोउपरांत, साम्ब ने कोणार्क में सूर्यदेव का मंदिर निर्माण करने का तय किया। अत: भगवान सूर्य को वैद्य माना जाता है। आइए, रथ सप्तमी की कथा जानते हैं-

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रथ सप्तमी की कथा

सनातन ग्रंथो में माघ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी उल्लेख निहित है। द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र शाम्ब को शारीरिक बल पर अत्यधिक अभिमान हो गया। इस अहंकार में शाम्ब सभी लोगों का उपहास करते रहते थे। एक बार की बात है। जब श्रीकृष्ण के पुत्र शाम्ब ने दुर्वाशा ऋषि का उपहास कर उन्हें भरे दरबार में अपमानित कर दिया। ऐसा कहा जाता है कि दुर्वाशा ऋषि की अक्षम शारीरिक शक्ति को देखकर शाम्ब जोर-जोर से हंसने लगे थे। उस समय दुर्वाशा ऋषि भगवान श्रीकृष्ण से मिलने द्वारिका गए थे।

यह देख दुर्वाशा ऋषि क्रोधित हो उठे और उन्होंने तत्क्षण शाम्ब को कुष्ठ रोग से ग्रसित होने का श्राप दे दिया। दुर्वाशा ऋषि ने कहा-तुमने भरी सभा में मेरा उपहास किया है, तुम्हें अपनी शारीरिक शक्ति पर अभिमान आ गा है। यह रुप, यौवन और बल कुरुप हो जाएगा। यह सुन शाम्ब व्याकुल हो उठे।

तभी भगवान श्रीकृष्ण ने कहा-तुमने दुर्वाशा ऋषि का अपमान किया है। तुम्हें इसका पश्चताप करना होगा। इस रोग से मुक्त होने के लिए सूर्य देव की उपासना करो। कालांतर में शाम्ब ने सूर्य देव की कठिन भक्ति कर श्राप से मुक्ति पाई थी। इसके लिए सूर्य देव को शारीरिक कष्ट को दूर करने वाला देव भी कहा जाता है।

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'


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