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Kalashtami Puja Vidhi: कालाष्टमी के दिन इस तरह करें भगवान कालभैरव की पूजा, बनी रहेगी कृपा

Kalashtami Puja Vidhi हर मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी मनाई जाती है। आज चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि है और आज के दिन भगवान शिव के रौद्र रूप कालभैरव की पूजा की जाती है।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Published: Sun, 04 Apr 2021 08:30 AM (IST)Updated: Sun, 04 Apr 2021 09:15 AM (IST)
Kalashtami Puja Vidhi: कालाष्टमी के दिन इस तरह करें भगवान कालभैरव की पूजा, बनी रहेगी कृपा
Kalashtami Puja Vidhi: कालाष्टमी के दिन इस तरह करें भगवान कालभैरव की पूजा, बनी रहेगी कृपा

Kalashtami Puja Vidhi: हर मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी मनाई जाती है। आज चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि है और आज के दिन भगवान शिव के रौद्र रूप कालभैरव की पूजा की जाती है। आज के दिन भगवान काल भैरव के भक्त उनका व्रत करते हैं। शिवपुराण के अनुसार, मार्गशीर्ष मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भगवान काल भैरव की उत्पत्ति हुई थी। इसलिए हर मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी मनाई जाती है। इसे काल भैरवाष्टमी या भैरवाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन कालभैरव की विधि-विधान के साथ पूजा की जाती है। जो व्यक्ति इनकी श्रद्धापूर्वक पूजा करता है उसे शिव जी का आशीर्वाद जल्द ही प्राप्त हो जाता है। तो आइए जानते हैं कैसे करें कालाष्टमी का व्रत और पूजा।

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कालाष्टमी की पूजा विधि:

  • इस दिन ब्रह्ममुहूर्त में उठकर नित्यकर्मों से निवृत्त होकर स्नानादि कर लेना चाहिए।
  • फिर एक लकड़ी का पाट लें और उस पर कालभैरव की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। इसके साथ ही शिवजी और माता पार्वती की तस्वीर भी यहां रखें।
  • इसके बाद हर तरफ गंगाजल छिड़क लें। फिर भगवान को फूलों की माला या फूल अर्पित करें।
  • फिर कालभैरव को नारियल, इमरती, पान, मदिरा, गेरुआ आदि अर्पित करें।
  • फिर चौमुखी दीपक जलाएं। फिर धूप-दीप कर भगवान को कुमकुम या हल्दी का तिलक लगाएं।
  • इसके बाद कालभैरव, भगवान शिव और माता पार्वती की आरती करें। इसके बाद शिव चालिसा और भैरव चालिसा का पाठ भी करें।
  • फिर बटुक भैरव पंजर कवच का पाठ करें। भैरव मंत्रों का भी 108 बार जाप करें।
  • फिर कालभैरव की उपासना करें।
  • व्रत पूरा होने के बाद काले कुत्ते को कच्चा दूध या मीठी रोटी खिलाएं।
  • रात के समय काल भैरव की सरसों के तेल, उड़द, दीपक, काले तिल आदि से पूजा करें। फिर रात जागरण करें।

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी। ' 


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