पिंड दान से लेकर श्राद्ध तिथि: पितृ पक्ष के बारे में यहां जानिए सब कुछ
पितरों का ऋण श्राद्ध द्वारा चुकाने के लिए हर साल पितृ पक्ष होता है। पितृ पक्ष 16 दिनों होता है। ऐसे में जानें पूजन विधि और श्राद्ध के हिसाब से किस दिन है कौन सी तिथि...
पितरों का मिलेगा आशीर्वाद:
पितरों का ऋण चुकाने के लिए साल भर में एक बार पितृ पक्ष होता है। इसकी शुरुआत भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा से और समापन आश्विनी माह की कृष्ण पक्ष की अमावस्या को होता है। इन दिनों पितरों को तर्पण देने के साथ श्राद्ध व पिंडदान किया जाता है। पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए यह 16 दिन का समय सबसे अच्छा माना जाता है।
तर्पण और श्राद्ध अनिवार्य:
तर्पण में पितरों को हर दिन सुबह स्नान आदि करने के बाद अंजुली से जल दिया जाता है। माना जाता है कि जल के तर्पण से पितरों की प्यास बुझती है। इसके अलावा श्राद्ध भी किया जाता है। श्राद्ध तिथियों के अनुसार होता है। जिस पितर की जिस दिन मृत्यु होती है उसका श्राद्ध उसी तिथि पर किया जाता है। इस दिन ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है।
विधिविधान से पिंडदान:
पितृ पक्ष में पिंडदान की प्रक्रिया विधिविधान से निभाई जाती है। पिंड बनाने में जौ और तिल का प्रयोग शुभ होता है। इसके अलावा इसमें कुश का प्रयोग भी करना अनिवार्य होता है। मान्यता है कि पिंड दान चांदी के बर्तन में रखकर किया जाना शुभ माना जाता है। अगर चांदी का बर्तन नहीं उपलब्ध है तो फिर हरे पत्ते पर रखकर दिया जाता है।
तारीख, दिन और श्राद्ध तिथि:
5 सितंबर मंगलवार को पूर्णिमा श्राद्ध मनाई जाएगी।
6 सितंबर बुधवार को प्रतिपदा श्राद्ध मनाई जाएगी।
7 सितंबर गुरुवार को द्वितीया श्राद्ध मनाई जाएगी।
8 सितंबर शुक्रवार को तृतीया श्राद्ध मनाई जाएगी।
9 सितंबर शनिवार को चतुर्थी श्राद्ध मनाई जाएगी।
10 सितंबर रविवार को महाभारणी, पंचमी श्राद्ध मनाई जाएगी।
11 सितंबर सोमवार को षष्ठी श्राद्ध मनाई जाएगी।
12 सितंबर मंगलवार को सप्तमी श्राद्ध मनाई जाएगी।
13 सितंबर बुधवार को अष्टमी श्राद्ध मनाई जाएगी।
14 सितंबर गुरुवार को नवमी श्राद्ध मनाई जाएगी।
15 सितंबर शुक्रवार को दशमी श्राद्ध मनाई जाएगी।
16 सितंबर शनिवार को एकादशी श्राद्ध मनाई जाएगी।
17 सितंबर रविवार को द्वादशी श्राद्ध, त्रयोदशी श्राद्ध मनाई जाएगी।
18 सितंबर सोमवार को माघ श्राद्ध, चतुर्दशी श्राद्ध मनाई जाएगी।
19 सितंबर मंगलवार को सर्व पितृ अमावस्या मनाई जाएगी।