नरक चतुर्दशी पर जानें पूजन मुहूर्त और विधि
दिवाली से एक दिन पहले नरक चतुर्दशी होती है। इस दिन यमराज के लिए दीपदान किया जाता है। ऐसे में आइए जानें इस दिन पूजन मुहूर्त और विधि...
नरकासुर का संहार
दिवाली के एक दिन पहले यानी कि 18 अक्टूबर को नरक चतुर्दशी मनाई जाएगी। इसे नर्क चतुर्दशी, नर्का पूजा और छोटी दिवाली के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू शास्त्रों में इस दिन का बड़ा महत्व माना जाता है। मान्यता है कि आज के दिन ही भगवान श्री कृष्ण ने अत्याचारी नरकासुर का संहार कर सोलह हजार एक सौ कन्याओं को बंदी गृह से मुक्त कराया था। इस उपलक्ष्य में उस समय दिए सजाए गए थे। इस दिन बुराई को हटाकर सच्चाई की जीत के लिए भी जाना जाता है। इसलिए नरक चतुर्दशी पर सुबह स्नान आदि करने के बाद भगवान कृष्ण की पूजा व दर्शन करना शुभ होता है।
ऐसे करें यम पूजा
नरक चतुर्दशी के दिन सूर्योदय से पहले शरीर पर तेल की मालिश करके नहाना शुभ माना जाता है। स्नान के दौरान अपामार्ग पौधे की टहनियों को अपने ऊपर से सात बार घुमाकर सिर पर रखना होता है। साथ थोड़ी सी मिट्टी भी रखी जाती है। इसके बाद पानी डालकर इसके बहा दिया जाता है। अंत में पानी में तिल डालकर यमराज को तर्पण किया जाता है। इसके बाद सांध्य बेला में घर के बाहर तेल का एक दीपक जलाकर यमराज का ध्यान किया जाता है। यमराज के लिए किए गए इस दीपदान को लेकर माना जाता है कि इसकी रोशनी से पितरों के रास्ते का अंधेरा दूर हो जाता है।
इस मुहुर्त में पूजन
इस बार यम दीपदान व पूजन मुहूर्त शाम को 6 बजे से शाम 7 बजे तक रहेगा। यह दीपक जलाते समय, सितालोष्ठसमायुक्तं संकण्टकदलान्वितम्। हर पापमपामार्ग भ्राम्यमाण: पुन: पुन:...मंत्र का जाप करना चाहिए। मान्यता है कि दीपदान करने से यमराज खुश होते हैं। पापों की मुक्ति के साथ मृत्यु के भय से भी मुक्ति मिलती है। इतना ही नहीं इससे नरक जाने से बचा जा सकता है। इस दिन को हुनुमान जयंती के रूप में भी मनाते हुए बजंरग बली की पूजा-अर्चना करते हैं। मन्यताओं के मुताबिक महाबली हनुमान जी ने आज ही के दिन जन्म लिया था।