Chhath puja 2018: चार दिवसीय उत्सव के इन दो दिन की पूजा में खास है ये सामग्री
छठ पूजा छठ छठी माई के पूजा छठ पर्व छठ पूजा डाला छठ डाला पूजा आैर सूर्य षष्ठी कर्इ नामों वाले Chhath puja 2018 पर्व में पंडित दीपक पांडे से जाने क्या है जरूरी पूजा सामग्री।
उगते सूरज की पूजा
छठ पर्व के चौथे और अंतिम दिन सुबह उदित होते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इसके लिए प्रात: सूर्योदय से पूर्व ही घाट पर पहुंचना होता है और उगते सूर्य की पूजा कर अर्घ्य अर्पित करना होता है। तत्पश्चात घाट पर छठ माता से संतान की रक्षा और घर परिवार के सुख शांति का वरदान मांगा जाता है। इस पूजन के बाद सभी में प्रसाद बांट कर लगभग 36 घंटों के उपवास को पूरा कर के व्रती खुद भी प्रसाद खाकर व्रत खोलते हैं।
आज है तीसरा दिन
इससे पहले तीसरे दिन यानि 13 नवंबर की शाम को सूर्य अर्घ्य दिया जाता है। ये दिन सूर्य षष्ठी कहलाता है। आज पूरे दिन के उपवास के बाद शाम को डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। मान्यता के अनुसार शाम का अर्घ्य के बाद रात में छठी माता के गीत गाए जायेंगे और व्रत कथा भी सुनी जायेगी। षष्ठी के दिन छठ का विशेष प्रसाद बनता है। इसमें मालपुआ, खीर-पूड़ी, खजूर, सूजी का हलवा, चावल का बना लड्डू, सूखे मेवे, नारियल आदि शामिल होते हैं। इस दौरान गुड़ की खीर बनती है। इस प्रसाद की सबसे खास बात होती है कि इसमें बनने वाले ठेकुआ और चावल के लड्डू खासतौर पर छठ के लिए धोए, सुखाए और पिसवाए गए गेहूं व चावल से बनते हैं। इसके लिए ये ध्यान रखा जाता है कि इस अनाज पर किसी का पैर नहीं लगना चाहिए और नाही कोर्इ पक्षी चोंच मार कर इसे झूठा कर सके वरना इसे वर्जित माना जाएगा।
अंतिम दिन छठ पूजा की सामग्री
सप्तमी यानि 14 नवंबर को सूर्योदय के समय पुनः सूर्य पूजा करके अर्ध्य दिया जाता है। इसके लिए प्रसाद और फल से भरी पूरी टोकरी सजार्इ जाती है। इस पूजा की सामग्री इस प्रकार है:- बांस की दो तीन बड़ी टोकरी, प्रसाद रखने के लिए, बांस या पीतल के बने 3 सूप, लोटा, थाली, दूध और जल के लिए गिलास, नए कोरे वस्त्र, पानी वाला नारियल, गन्ना जिसमें पत्ता लगा हो, सुथनी और शकरकंदी, नाशपाती और टाब नाम का बड़ा वाला मीठा नींबू, शहद की डिब्बी, पान और साबुत सुपारी, चावल, लाल सिंदूर, धूप और बड़ा दीपक, हल्दी और अदरक का हरा पौधा, कैराव, कपूर, कुमकुम, चन्दन, मिठाई
सूर्य पूजा का महातम्य
एक बात का विशेष ध्यान रखें कि टोकरी को धोकर ही उसमें प्रसाद व पूजा की सामग्री रखें आैर सूर्य को अर्घ्य देते समय सारा सामान सूप में रख लें। दीपक भी सूप में ही जलायें। सूर्य भगवान को अर्घ्य देने के लिए लोटे में दूध, गंगाजल और साफ जल मिलाएं और फल प्रसाद के ऊपर चढ़ाते हुए अर्घ्य दें।छठ पूजा में सूर्य देव का सर्वाधिक महातम्य है। उनके लिए कहा जाता है कि वे एकमात्र ऐसे देवता है जिन्हें मूर्त रूप में देखा जा सकता है। सूर्य की पत्नियां उषा और प्रत्यूषा है, जो उनकी शक्ति भी मानी जाती हैं। छठ पूजा में सूर्य के साथ इन दोनों शक्तियों की संयुक्त आराधना की जाती है। छठ पर्व अस्ताचल गामी सूर्य की अंतिम किरण से प्रत्यूषा और व्रत पारण पर सूर्य की पहली किरण से उषा की पूजा की जाती है। इस पूजा को संतान और परिवार की खुशहाली के लिए किया जाता है। छठ पूजा में मन्नत मांगने और मन्नत पूरी होने पर कोसी भरने का रिवाज है। विवाह, नई बहू के आगमन आैर बच्चे के जन्म पर कुल परंपरा के अनुसार कोसी भरी जाती है।