Karwa Chauth Puja Vidhi 2019: करवा चौथ को करें शिव परिवार की आराधना, जानें मंत्र, पूजा विधि एवं महत्व
Karwa Chauth 2019 Mantra Puja Vidhi आज करवा चौथ है। व्रत रखने वाले लोगों को व्रत पूजा विधि मंत्र और उसके महत्व के बारे में जानना चाहिए।
Karwa Chauth 2019 Mantra Puja Vidhi: करवा चौथ का व्रत आज है। यह व्रत सुहागिन महिलाएं करती हैं, लेकिन वे युवतियां जिनका विवाह इस साल होना है, वे भी भगवान शिव, माता गौरी, गणेश, कार्तिकेय और चंद्रमा की विधि विधान से पूजा-अर्चना कर सकती हैं। व्रती लोग निर्जला व्रत रखकर अपने सुहाग की आरोग्य और सुखी जीवन की कामना करती हैं। उनकी आराधना से प्रसन्न होकर चौथ माता यानी मां गौरी उनको खुशहाल दाम्पत्य जीवन का आशीर्वाद देती हैं।
नवविवाहित युवतियां, जिन्हें इस व्रत के बारे में ज्यादा कुछ पता नहीं है, उन्हें परेशान होने की आवश्यकता नहीं है। ज्योतिषाचार्य पं. गणेश प्रसाद मिश्र आपको बता रहे हैं कि करवा चौथ के दिन पूजा कैसे करें, किन मंत्रों का उच्चारण करें। आइए जानते हैं करवा चौथ व्रत की पूजा विधि, मंत्र और महत्व के बारे में -
गौरी माता का स्वरूप हैं चौथ माता
चौथ माता मां गौरी का ही स्वरूप हैं। करवा चौथ के दिन मंदिरों या पूजा स्थलों पर चौथ माता के साथ भगवान श्री गणेश जी की मूर्ति स्थापित करते हैं। व्रत रहने वालों के सुहाग की रक्षा चौथ माता करती हैं।
करवा चौथ पूजा विधि
करवा चौथ के व्रत में भगवान शिव, माता गौरी और चंद्रमा की पूजा विधिपूर्वक की जाती है। नैवेद्य में इनको करवे या घी में सेंके हुए और खांड मिले हुए आटे के लड्डू अर्पित किया जाता है। व्रत रखने वाली महिलाओं को नैवेद्य के 13 करवे या लड्डू, 1 लोटा, 1 वस्त्र और 1 विशेष करवा पति के माता-पिता को देती हैं।
करवा चौथ के दिन व्रत रखने वाले व्यक्ति को प्रात:काल दैनिक क्रियाओं से निवृत होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद 'मम सुखसौभाग्यपुत्रपौत्रादिसुस्थिरश्रीप्राप्तये करकचतुर्थीव्रतमहं करिष्ये' मंत्र से व्रत का संकल्प करें। इसके बाद बालू की वेदी पर पीपल का वृक्ष लिखें और उसके नीचे शिव-शिवा और स्वामी कार्तिक की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
शिवा मंत्र
नम: शिवायै शर्वाण्यै सौभाग्यं संतति शुभाम्।
प्रयच्छ भक्तियुक्तानां नारीणां हरवल्लभे।।
इस मंत्र से शिवा यानी पार्वती जी का षोडशोपचार पूजन करें। इसके पश्चात नम: शिवाय मंत्र से भगवान शिव का और 'षण्मुखाय नम:' से स्वामी कार्तिक का पूजा करें। इसके बाद नैवेद्य के करवे और दक्षिणा ब्राह्मण को देकर चन्द्रमा को अर्घ्य दें। पति के हाथों जल का पान करें और फिर भोजन ग्रहण करें।
अर्घ्य का मुहूर्त: आप चंद्रमा को रात्रि में 7:58 बजे के बाद अर्घ्य दें।