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Karwa Chauth 2019 Chandra Arghya Timing : आज है करवा चौथ का व्रत, जानें किस समय देना है चन्द्रमा को अर्घ्य

Karwa Chauth 2019 Chandra Arghya Timing अखंड सौभाग्य की कामना का व्रत करवा चौथ आज है। इस दिन चंद्रमा को अर्घ्य देने का विशेष महत्व है।

By kartikey.tiwariEdited By: Published: Sat, 05 Oct 2019 11:26 AM (IST)Updated: Thu, 17 Oct 2019 09:06 AM (IST)
Karwa Chauth 2019 Chandra Arghya Timing : आज है करवा चौथ का व्रत, जानें किस समय देना है चन्द्रमा को अर्घ्य
Karwa Chauth 2019 Chandra Arghya Timing : आज है करवा चौथ का व्रत, जानें किस समय देना है चन्द्रमा को अर्घ्य

Karwa Chauth 2019 Chandra Arghya Timing: अखंड सौभाग्य की कामना का व्रत करवा चौथ आज है। यह हर वर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को पड़ती है। चतुर्थी तिथि में चन्द्रोदयव्यापिनी महत्वपूर्ण है। करवा चौथ का व्रत तृतीया के साथ चतुर्थी उदय हो, उस दिन करना शुभ है। तृतीया तिथि ‘जया तिथि’ होती है। इससे पति को अपने कार्यों में सर्वत्र विजय प्राप्त होती है। इस दिन माता गौरी, गणेश जी, भगवान शिव, भगवान कार्तिकेय और चंद्रमा के पूजन का विधान है। चंद्रमा को अर्घ्य दिए बिना आप व्रत नहीं खोल सकती हैं। 

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चौथ माता करती हैं सुहाग की रक्षा

ज्योतिषाचार्य पं गणेश प्रसाद मिश्र बताते हैं कि सुहागन महिलाओं के लिए करवा चौथ महत्वपूर्ण होता है। इस दिन चौथ माता के साथ उनके छोटे पुत्र श्रीगणेश जी की प्रतिमा स्थापित होती है। करवा चौथ के दिन भगवान शिव, पार्वती, स्वामिकार्तिक और चंद्रमा की पूजा का विधान है। चौथ माता सुहागिनों को अखंड सौभाग्य का वरदान देती हैं और उनके सुहाग की सदा रक्षा करती हैं। उनके वैवाहिक जीवन में प्रेम, विश्वास और उल्लास बनाए रखती हैं।  

चंद्रमा को अर्घ्य दान का मुहूर्त 

करवा चौथ के दिन चौथ माता की विधि विधान से पूजा अर्चना के बाद चंद्रमा को अर्घ्य दान किया जाता है। ऐसी मान्यता है​ कि रात्रि में चंद्रमा की ​किरणें औषधीय गुणों से युक्त होती हैं। चंद्रमा को अर्घ्य देते समय पति-पत्नी को भी चन्द्रमा की शुभ किरणों का औषधीय गुण प्राप्त होता है, इसलिए चंद्रमा को अर्घ्य देते पति-पत्नी दोनों मौजूद रहते हैं। अर्घ्य दान के बाद पति पत्नी को जल पिलाकर व्रत पूर्ण कराते हैं। 

अर्घ्य दान- रात्रि 7 बजकर 58 मिनट के बाद 

महिलाएं करवा चौथ का व्रत निर्जला रखती हैं। दिनभर जल और अन्न का त्याग करना होता है। हालांकि रात्रि के समय चंद्रमा को अर्घ्य दान के बाद पति के हाथों जल ग्रहण करके व्रत को पूरा करती हैं और फिर भोजन ग्रहण करती हैं। बीमार और गर्भवती महिलाओं को बीच बीच में जल और चाय पीने की छूट रहती है। उनके लिए व्रत के नियमों में थोड़ी ढील दी जाती है।   


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