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Kamada Ekadashi 2024: कामदा एकादशी व्रत करने से मिलते हैं कई लाभ, यहां पढ़िए कथा

हिंदू धर्म में एकादशी तिथि को बहुत ही महत्वपूर्ण और पवित्र माना जाता है। साधकों द्वारा प्रभु श्री हरि की कृपा प्राप्त करने के लिए एकादशी का व्रत किया जाता है। व्रत कथा के बिना कोई भी व्रत अधूरा माना जाता है। ऐसे में आइए पढ़ते हैं कामदा एकादशी की व्रत कथा और जानते हैं इस व्रत की महिमा के विषय में।

By Suman Saini Edited By: Suman Saini Published: Thu, 18 Apr 2024 10:42 AM (IST)Updated: Thu, 18 Apr 2024 10:42 AM (IST)
Kamada Ekadashi 2024 कामदा एकादशी व्रत कथा।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Kamada Ekadashi Vrat Katha: हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल चैत्र माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर कामदा एकादशी का व्रत किया जाता है। माना जाता है कि इस व्रत को करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो सकती हैं। साथ ही भक्तों के कष्टों का भी निवारण होता है।  

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कामदा एकादशी शुभ मुहूर्त (Kamada Ekadashi Shubh Muhurat)

चैत्र माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का प्रारंभ 18 अप्रैल को शाम 05 बजकर 31 मिनट पर होगा। वहीं इस तिथि का समापन 19 अप्रैल को रात 08 बजकर 04 मिनट पर होने जा रहा है। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, कामदा एकादशी का व्रत 19 अप्रैल, शुक्रवार के दिन किया जाएगा।

कामदा एकादशी व्रत कथा (Kamada Ekadashi Vrat Katha)

भगवान श्रीकृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को कामदा एकादशी की कथा सुनाई थी। पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन काल में भोगीपुर में पुंडरीक नाम का राजा था, जो हमेशा भोग-विलास में लिप्त रहता था।  उस राज्य में ललित और ललिता नाम के स्त्री और पुरुष रहा करते थे, जिनमें अथाह प्रेम था। एक दिन राजा की सभा में ललित गीत गा रहा था, तभी उसका ध्यान ललिता पर चला गया। जिस कारण उसका स्वर बिगड़ गया और गान भी खराब हो गया। यह देखकर राजा क्रोधित हो गए और उन्होनें ललित को राक्षस बनने का श्राप दे दिया। अपने पति की यह हालत देखकर ललिता बहुत दुखी हुई। उसने अपने पति को ठीक करने के लिए कई लोगों सहायता मांगी। 

ऋषि ने बताया उपाय

तब किसी के बताने पर ललिता विंध्याचल पर्वत पर श्रृंगी ऋषि के आश्रम पहुंची। वहां जाकर उसने अपनी व्यथा ऋषि को सुनाई। तब ऋषि ने उसे कामदा एकादशी का व्रत रखने की सलाह दी। साथ ही ऋषि ने कहा कि इस व्रत की महिमा से तुम्हारा पति फिर से मनुष्य योनि में आ जाएगा। ऋषि के कहे अनुसार, ललिता ने विधि-विधान पूर्वक कामदा एकादशी का व्रत किया और भगवान विष्णु का ध्यान किया। व्रत पूरा होने पर भगवान विष्णु की कृपा से ललित फिर से मनुष्य योनि में आ गया। इस प्रकार दोनों को अपने जीवन के कष्टों से मुक्ति मिल गई। इसके बाद वह दोनों लगातार कामदा एकादशी का व्रत करने लगे, जिससे अंत में दोनों को मोक्ष की प्राप्ति हुई।

डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'


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