कालाष्टमी के दिन करें काल भैरव की आरती और करें मंत्रों का जाप
Kalashtami Aarti And Mantra आज के दिन काल भैरव की पूजा की जाती है। मान्यता है कि कालाष्टमी के दिन भैरव बाबा पापियों को दंड देते हैं। इसलिए ही इसे भैरव बाबा की दंडापानी भी कहा जाता है। आइए पढ़ते हैं कालाष्टमी का व्रत मंत्र और आरती।
Kalashtami Aarti And Mantra: आज फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि है और आज के दिन काल भैरव की पूजा की जाती है। मान्यता है कि कालाष्टमी के दिन भैरव बाबा पापियों को दंड देते हैं। इसलिए ही इसे भैरव बाबा की दंडापानी भी कहा जाता है। तंत्र साधना में काल भैरव के 8 स्वरूपों के बारे में बताया गया है। ये रूप भीषण भैरव, चंद्र भैरव, क्रोध भैरव, रुद्र भैरव, असितांग भैरव, संहार भैरव, कपाली भैरव, उन्मत्त भैरव हैं। कालाष्टमी के दिन कालभैरव की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन की सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं। ऐसा करने से व्यक्ति को काल भय भी खत्म हो जाता है। पूजा के दौरान लोगों को व्रत मंत्र और आरती भी करनी चाहिए। तो आइए पढ़ते हैं कालाष्टमी का व्रत मंत्र और आरती।
कालाष्टमी व्रत मंत्र:
शिवपुराण में कालभैरव की पूजा के दौरान इन मंत्रों का जप करना फलदायी माना गया है।
अतिक्रूर महाकाय कल्पान्त दहनोपम्,
भैरव नमस्तुभ्यं अनुज्ञा दातुमर्हसि!!
अन्य मंत्र:
ओम भयहरणं च भैरव:।
ओम कालभैरवाय नम:।
ओम ह्रीं बं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरूकुरू बटुकाय ह्रीं।
ओम भ्रं कालभैरवाय फट्।
श्री भैरव जी की आरती:
जय भैरव देवा, प्रभु जय भैंरव देवा।
जय काली और गौरा देवी कृत सेवा।।
तुम्हीं पाप उद्धारक दुख सिंधु तारक।
भक्तों के सुख कारक भीषण वपु धारक।।
वाहन शवन विराजत कर त्रिशूल धारी।
महिमा अमिट तुम्हारी जय जय भयकारी।।
तुम बिन देवा सेवा सफल नहीं होंवे।
चौमुख दीपक दर्शन दुख सगरे खोंवे।।
तेल चटकि दधि मिश्रित भाषावलि तेरी।
कृपा करिए भैरव करिए नहीं देरी।।
पांव घुंघरू बाजत अरु डमरू डमकावत।।
बटुकनाथ बन बालक जन मन हर्षावत।।
बटुकनाथ जी की आरती जो कोई नर गावें।
कहें धरणीधर नर मनवांछित फल पावें।।
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