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Kalashtami 2022: कालाष्टमी पर करें काल भैरव की पूजा, जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और मंत्र

Kalashtami 2022 कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी का व्रत रखा जाता है। इस दिन महादेव शिव के रूद्रावतार काल भैरव की पूजा करने का विधान है। इस दिवन पूजा करने से हर रोग दुख और दोष से निजात मिल जाती है।

By Shivani SinghEdited By: Published: Sun, 22 May 2022 01:00 PM (IST)Updated: Sun, 22 May 2022 01:00 PM (IST)
Kalashtami 2022: कालाष्टमी पर करें काल भैरव की पूजा, जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और मंत्र
Kalashtami 2022: कालाष्टमी का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और मंत्र

नई दिल्ली, Kalashtami 2022: हिंदू पंचांग के मुताबिक, हर माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी का व्रत रखा जाता है। ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को पड़ने वाली कालाष्टमी का काफी अधिक महत्व है। इस दिन भगवान शिव के पांचवे अवतार काल भैरव की विधि-विधान से पूजा अर्चना की जाएगी। माना जाता है कि इस दिन काल भैरव के साथ माता पार्वती और शिव जी की पूजा करने से सभी कष्टों से छुटकारा मिल जाता है। इसके साथ की भूत-प्रेत बाधा का प्रकोप भी ख्तम होता है। जानिए ज्येष्ठ मास में पड़ने वाली कालाष्टमी का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और मंत्र।

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ज्येष्ठ मास की कालाष्टमी 2022

ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि प्रारंभ- 22 मई, रविवार को दोपहर 12 बजकर 59 मिनट से शुरू

ज्येष्ठ अष्टमी तिथि का समापन- 23 मई, सोमवार सुबह 11 बजकर 34 मिनट तक

उदया तिथि के मुताबिक कालाष्टमी का व्रत 23 मई को रखा जाएगा।

ज्येष्ठ कालाष्टमी पूजा विधि

ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्य कार्यो को करके स्नान करके साफ वस्त्र पहन लें। फिर काल भैरव का स्मरण करते रहें। काल भैरव को हल्दी या कुमकुम का तिलक लगाकर इमरती, पान, नारियल आदि चीजों का भोग लगाएं। इसके बाद चौमुखी दीपक जलाकर आरती करें। रात के समय काल भैरव के मंदिर जाकर धूप, दीपक जलाने के साथ काली उड़द, सरसों के तेल से पूजा करने के बाद भैरव चालीसा, शिव चालीसा का पाठ करें। इसके साथ ही बटुक भैरव पंजर कवच का पाठ करना भी शुभ होगा। कालाष्टमी के दिन इसके बाद काल भैरव के साथ भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा भी करें।

काल भैरव की पूजा करने के बाद कुत्ते को मीटी रोटी के साथ दूध जरूर पिलाएं। इससे आपको पूजा का पूर्ण फल मिलेगा।

काल भैरव मंत्र

धर्मध्वजं शङ्कररूपमेकं शरण्यमित्थं भुवनेषु सिद्धम्।

द्विजेन्द्र पूज्यं विमलं त्रिने

त्रं श्री भैरवं तं शरणं प्रपद्ये।।

काल भैरव गायत्री मंत्र

ओम शिवगणाय विद्महे। गौरीसुताय धीमहि।

तन्नो भैरव प्रचोदयात।।

Pic Credit- isntagram/grandhiraghav

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'


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