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Kajari Teej 2020: आज इस विधि से करें कजरी तीज का व्रत, मिलेगा अखंड सौभाग्य एवं सुख-समृद्धि का आशीष

Kajari Teej 2020 हर वर्ष भादो मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को कजरी ​तीज का त्योहार मनाया जाता है। इसे सातुड़ी तीज भी कहा जाता है।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Published: Wed, 05 Aug 2020 07:00 AM (IST)Updated: Thu, 06 Aug 2020 07:28 AM (IST)
Kajari Teej 2020: आज इस विधि से करें कजरी तीज का व्रत, मिलेगा अखंड सौभाग्य एवं सुख-समृद्धि का आशीष
Kajari Teej 2020: आज इस विधि से करें कजरी तीज का व्रत, मिलेगा अखंड सौभाग्य एवं सुख-समृद्धि का आशीष

Kajari Teej 2020: हर वर्ष भादो मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को कजरी ​तीज का त्योहार मनाया जाता है। इसे सातुड़ी तीज भी कहा जाता है। साथ ही महिलाएं कजरी तीज का व्रत भी रखती हैं। इस बार यह व्रत 6 अगस्त को किया जाएगा। इस दिन गुरुवार है। यह व्रत श्रावण पूर्णिमा के तीसरे दिन मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत करती हैं। यह व्रत निर्जला किया जाता है। इस दिन भगवान शिव तथा माता पार्वती की आराधना की जाती है। कजरी तीज उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश और राजस्थान समेत कई राज्यों में हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है।

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कजरी तीज का मुहूर्त:

भादो मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि का प्रारंभ 05 अगस्त दिन बुधवार को देर रात 10 बजकर 50 मिनट पर हो रहा है, जो कि 06 अगस्त की देर रात 12 बजकर 14 मिनट तक है।

इस तरह करें कजरी तीज का व्रत:

सुबह जल्दी उठकर सभी नित्यकर्मा से निवृत्त हो जाएं। फिर मिट्टी और गोबर से दिवार के किनारे एक तालाब जैसी आकृति बनाएं। तालाब के पास नीम की टहनी को लगाएं। फिर में कच्चा दूध और जल डालें और एक दीप प्रज्वल्लित करें। फिर इस नीमड़ी माता को जल और रोली लगाएं और फिर अक्षत चढ़ाएं। अपना अनामिका उंगली का इस्तेमाल करते हुए नीमड़ी माता के पीछे की दीवार पर मेहंदी लगाएं और रोली की 13 बिंदिया लगाएं। इसके बाद तर्जनी उंगली के इस्तेमाल से काजल की 13 बिंदियां लगाएं। फिर नीमड़ी माता को मोली, मेहंदी, काजल और वस्त्र अर्पित करें। इसके अलावा जो चीजें भी माता के लिए लाई गई हैं उन्हें भी नीमड़ी माता को अर्पित करें। इन सब का प्रतिबिंब तालाब के दूध और जल में देखें। फिर गहनों और साड़ी के पल्ले का प्रतिबिंब भी तालाब के दूध और जल में देखें। मान्यता है कि यह व्रत करने से सुहाग और सुख-समृद्धि बनी रहती है।

कजरी तीज की संध्या में पूजा के पश्चात चंद्रमा को अर्ध्य भी देना चाहिए। चंद्रमा को रोली, अक्षत और मोली अर्पित करें। चांदी की अंगूठी और गेंहू के दानें हाथ में लें। फिर चंद्रमा के अर्ध्य दें। जहां आप खड़ें हैं वहीं खड़े होकर परिक्रमा करें। बता दें कि इस दिन पूरे दिन उपवास किया जाता है। चांद को अर्ध्य देकर ही व्रत खोला जाता है। फिर अगले दिन गाय की पूजा की जाती है। इसके लिए गाय को आटे की सात लोईयों पर गुड़ और घी रखकर खिलाया जाता है। इसके बाद ही व्रत का पारण किया जाता है।  


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