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Janmashtami 2020 Today: देश में कई स्थानों पर जन्माष्टमी आज, लेकिन 12 अगस्त का है श्रेष्ठ मुहूर्त, जानें जन्मोत्सव समय

Janmashtami 2020 Today 11 और 12 अगस्त दोनों दिन जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जा रहा है लेकिन मुहूर्त के अनुसार कौन सा दिन अच्छा है। जानें यहां पर।

By Kartikey TiwariEdited By: Published: Sat, 08 Aug 2020 07:00 AM (IST)Updated: Tue, 11 Aug 2020 03:27 PM (IST)
Janmashtami 2020 Today: देश में कई स्थानों पर जन्माष्टमी आज, लेकिन 12 अगस्त का है श्रेष्ठ मुहूर्त, जानें जन्मोत्सव समय
Janmashtami 2020 Today: देश में कई स्थानों पर जन्माष्टमी आज, लेकिन 12 अगस्त का है श्रेष्ठ मुहूर्त, जानें जन्मोत्सव समय

Janmashtami 2020 Date: भगवान श्रीकृष्ण के जन्म का पावन माह भाद्रपद चल रहा है। इस वर्ष जन्माष्टमी के पर्व की तारीख को लेकर असमंजस की स्थिति बन गई है। आम आदमी यह जानना चाहता है कि इस वर्ष जन्माष्टमी 11 या 12 अगस्त में से किस दिन मनाई जाए। आज हम आपकी इस उलझन को सुलझाते हैं और बताते हैं कि आपको किस दिन जन्माष्टमी मनाना बेहतर होगा। पूर्णिमा के बाद भादो का महीना लग गया है। भादो के महीने की षष्ठी को बलराम और अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। इस माह में भगवान विष्णु की खास पूजा करनी चाहिए। इस दिन पूरे दिन सर्वार्थ सिद्धि योग है। ज्योतिषाचार्य अनीस व्यास का कहना है कि जन्माष्टमी पर राहुकाल दोपहर 12:27 बजे से 02:06 बजे तक रहेगा। इस बार जन्माष्टमी पर कृतिका नक्षत्र रहेगा, उसके बाद रोहिणी नक्षत्र रहेगा, जो 13 अगस्त तक रहेगा। पूजा का शुभ समय रात 12 बजकर 5 मिनट से लेकर 12 बजकर 47 मिनट तक है।

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12 अगस्त को जन्माष्टमी मानना श्रेष्ठ

जन्माष्टमी पर भगवान कृष्ण को दक्षिणावर्ती शंख से अभिषेक कर पंचामृत अर्पित करना चाहिए। माखन मिश्री का भोग लगाएं। हर बार की तरह इस बार भी जन्माष्टमी दो दिन मनाई जा रही है। 11 और 12 अगस्त दोनों दिन जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जा रहा है। लेकिन 12 अगस्त को जन्माष्टमी मानना श्रेष्ठ है। मथुरा और द्वारिका में 12 अगस्त को जन्मोत्सव मनाया जाएगा।

दो दिन की होती है जन्माष्टमी

भारत में लोग अलग–अलग तरह से जन्माष्टमी मानते हैं। वर्तमान समय में जन्माष्टमी को दो दिन मनाया जाता है, पहले दिन साधू-संत जन्माष्टमी मानते हैं। मंदिरों में साधू–संत झूम-झूम कर कृष्ण की अराधना करते हैं। इस दिन साधुओं का जमावड़ा मंदिरों में सहज है| उसके अगले दिन दैनिक दिनचर्या वाले लोग जन्माष्टमी मानते हैं।

यह भी देखें: मथुरा, गोकुल में 2 अलग-अलग दिन क्यों मनाई जाती है जन्माष्टमी

मथुरा में जन्माष्टमी का उल्लास

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के पावन मौके पर भगवान कान्हा की मोहक छवि देखने के लिए सुदूर इलाको से श्रद्धालु मथुरा पहुंचते हैं। श्रीकृष्ण जन्मोत्सव पर पूरी मथुरा और वहां पहुंचे श्रद्धालु कृष्णमय हो जाते है। मंदिरों को खास तौर पर सजाया जाता है। मथुरा और आस-पास के इलाको में जन्माष्टमी में स्त्री के साथ-साथ पुरुष भी बारह बजे तक व्रत रखते हैं। इस दिन मंदिरों में झांकियां सजाई जाती है और भगवान कृष्ण को झूला झुलाया जाता है और रासलीला का आयोजन होता है।

द्वारकाधीश, बिहारीजी एवं अन्य सभी मन्दिरों में इसका भव्य आयोजन होता हैं, जिनमें भारी भीड़ होती है। भगवान के श्रीविग्रह पर हल्दी, दही, घी, तेल, गुलाबजल, मक्खन, केसर, कपूर आदि चढ़ा ब्रजवासी उसका परस्पर लेपन और छिड़काव करते हैं तथा छप्पन भोग का महाभोग लगाते है। वाद्ययंत्रों से मंगल ध्वनि बजाई जाती है।

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जगदगुरु श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव नि:संदेह सम्पूर्ण विश्व के लिए आनंद-मंगल का संदेश देता है। सम्पूर्ण ब्रजमंडल, नन्द के आनंद भयो, जय कन्हैय्या लाल की जैसे जयघोषों व बधाइयों से गुंजायमान होता है।

जन्माष्टमी व्रत एवं पूजा

जन्माष्टमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा और भक्ति के लिए उपवास करें। अपने घर की विशेष सजावट करें। घर के अंदर सुन्दर पालने में बालरूप श्रीकृष्ण की मूर्ति स्थापित करें। रात्रि बारह बजे श्रीकृष्ण की पूजन के पश्चात प्रसाद का वितरण करें। विद्वानों, माता-पिता और गुरुजनों के चरण स्पर्श कर उनसे आशीर्वाद लें। इसके साथ ही यह ध्यान रखें कि परिवार में कोई भी किसी भी प्रकार के नशीले पदार्थों का सेवन बिल्कुल न करे। इस दिन के लिए आप अपने घर को सजा सकते हैं।


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