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आज करें वैभव लक्ष्मी व्रत और पूजा, धन संपदा से पूर्ण रहेगा जीवन

धन की देवी मां लक्ष्मी को यह व्रत समर्पित है। अतः इस व्रत को करने से व्यक्ति के जीवन में धन का आगमन होता है। घर में सुख-शांति और खुशहाली बनी रहती है। इस व्रत के पुण्य-प्रताप से व्रती की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।

By Umanath SinghEdited By: Published: Fri, 12 Jun 2020 10:58 AM (IST)Updated: Fri, 21 Jan 2022 09:47 AM (IST)
आज करें वैभव लक्ष्मी व्रत और पूजा, धन संपदा से पूर्ण रहेगा जीवन
आज करें वैभव लक्ष्मी व्रत और पूजा, धन संपदा से पूर्ण रहेगा जीवन

शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी की पूजा करने का विधान है। इस दिन व्रती वैभव लक्ष्मी व्रत करते हैं। धार्मिक मान्यता है कि इस व्रत को करने से व्यक्ति के जीवन में धन-दौलत, सुख और समृद्धि का आगमन होता है। इस व्रत को पुरुष और महिलाएं दोनों कर सकते हैं। घर के किसी एक सदस्य को वैभव लक्ष्मी व्रत जरूर करना चाहिए। धार्मिक मान्यता है कि शुक्रवार के दिन शुक्र ग्रह की पूजा की जाती है, जिससे व्यक्ति के कारोबार, करियर, धन, सफलता, प्रेम संबंध का उचित नियंत्रण होता है। आइए, इस व्रत की विधि को जानते हैं-

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वैभव लक्ष्मी व्रत

इस व्रत को कोई भी कर सकता है। हालांकि, इस व्रत को कम से कम 11 अथवा 21 शुक्रवार जरूर करना चाहि। इस व्रत को लगातार करने का प्रावधान नहीं है। अगर किसी वजह से आप किसी शुक्रवार को पूजा नहीं कर पाते हैं तो भी आप इसे नियमित रख सकते हैं। जब व्रत पूरा हो जाए तो शुक्रवार के दिन इसका उद्यापन करना चाहिए।

वैभव लक्ष्मी व्रत महत्व

धन की देवी मां लक्ष्मी को यह व्रत समर्पित है। अतः इस व्रत को करने से व्यक्ति के जीवन में धन का आगमन होता है। घर में सुख-शांति और खुशहाली बनी रहती है। इस व्रत के पुण्य-प्रताप से व्रती की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। साथ ही व्रती के सकल परिवार की रक्षा मां लक्ष्मी स्वयं करती है। इस दिन लक्ष्मी स्तवन का पाठ जरूर करना चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि इस व्रत को घर में रहकर ही करना चाहिए।

वैभव लक्ष्मी व्रत पूजा विधि

इस दिन ब्रह्म बेला में उठकर मां लक्ष्मी का ध्यान कर दिन की शुरुआत करें। इसके बाद गंगाजल युक्त पानी से स्नान कर व्रत संकल्प लें। अब भगवान भास्कर को जल का अर्घ्य दें। तत्पश्चात, मां लक्ष्मी की पूजा विधि पूर्वक करें। दिन भर उपवास करें। शाम में आरती-अर्चना कर फलाहार करें। अगले दिन नित्य दिनों पूजा-पाठ संपन्न कर व्रत खोलें। अगर आप किसी शुक्रवार को यात्रा पर हो तो उस दिन व्रत नहीं करना चाहिए, बल्कि अगले शुक्रवार को आप व्रत रख सकते हैं।

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'


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