ऐसे करें गंगा दशहरा पर पूजा और दान होगा विशेष लाभ
पंडित दीपक पांडे बता रहे हैं कि गंगा दशहरा का संयोग अत्याधिक लाभप्रद है। साथ ही इस दिन पवित्र नदी में स्नान से मिलती है 10 पापों से मुक्ति।
इस दिन है गंगा दशहरा
जेठ महीने के शुक्ल पक्ष की दसवीं तिथि को गंगा दशहरा मनाया जाता है। इस वर्ष ये पर्व 22 जून को पड़ रहा है। ये पर्व भारत में अलग अलग तरीकों से क्षेत्रों की परंपरा के अनुसार मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन गंगा का पृथ्वी पर अवतरण हुआ था। जेठ की इस दसवीं तिथि को संवत्सर का मुख भी माना जाता है।इसीलिए इस दिन पवित्र नदियों जैसे गंगा, यमुना आदि में स्नान, दान और उपवास का विशेष महत्व होता है।
10 पापों का अंत
इसी दिन त्रेता युग में महाराज सगर के 60 हजार पुत्रों को मुक्ति देने के लिए भागीरथ के आवहन पर गंगा धरती पर आई थीं। ब्रह्म पुराण में कहा गया है कि ये दिन मानव के 10 पापों को हरने वाला होता है इसलिए भी इसे दशहरा कहते हैं। इस दिन किसी भी पवित्र नदी में स्नान करें और निम्नलिखित 10 पापों से दूर होने का संकल्प करें। 1- बिना आज्ञा के किसी की कोई वस्तु लेना। 2- हिंसा करना। 3- पर स्त्रीगमन। 4- कटु बोलना। 5- झूठ बोलना। 6- बुराई करना। 7- निष्प्रयोजन बातें करना। 8- किसी के साथ अन्याय करना। 9- किसी का अनिष्ट करना। 10- नास्तिक होना।
ऐसे करें पूजा
गंगा दशहरा में पतित पावनी गंगा या ऐसी ही किसी पवित्र नदी में स्नान करना तो महत्वपूर्ण होता ही है, परंतु इससे पूर्व पूजन करना भी अनिवार्य है। इसके लिए गंगा की एक मूर्ति का निर्माण स्वयं करें, या बनी बनाई मूर्ति लाकर उसकी स्थापना करें। इसके बाद इस पर जल अर्पित करे, अब रोली से टीका लगायें और पुष्प अर्पित करें। इसके बाद फल और मिष्ठान का भोग लगायें। मन में गंगाजी का स्मरण करते हुए दीपक जलाये और मां गंगा की आरती करें। इसके साथ ही गंगा को पृथ्वी पर लाने वाले भागीरथ और पर्वत राज हिमालय का ध्यान करते हुए उन्हें प्रणाम करें। अंत में 10 फल 10-10 की मात्रा में, 10 किलो जौ, 10 किलो गेहूं और 10 सेर तिल का दान करें। यदि ऐसा संभव ना हो तो 10 की प्रतीकात्मक मात्रा में भी दान कर सकते हैं।
विशिष्ट है इस बार का गंगा दशहरा
धर्म सिंह में बताये गए एक श्लोक के अनुसार मलमास से जुड़ कर पड़ने वाले गंगा दशहरा का अत्यंत महत्व होता है। इस दिन विधिपूर्वक पूजा करने से विशिष्ट लाभ प्राप्त होता है। इस दिन में पवित्र नदी में स्नान करने के साथ गंगा नदी का स्मरण करके पूजन करें। नदी को पुष्पांजली दें। इसके साथ ही भागीरथ और हिमालय का भी स्मरण करके पूजा करें। 10 मुठ्ठी अनाज और अन्य वस्तुयें 10 ब्राह्मणों को दान करें। इस दिन घी मिले सत्तु के दान का भी विशेष महत्व है।