Holashtak 2020: होलाष्टक में क्यों नहीं होते हैं मांगलिक कार्य? पढ़ें भक्त प्रह्लाद और कामदेव की कथा
Holashtak 2020 होलाष्टक में मांगलिक कार्य क्यों नहीं होते हैं? इसका उत्तर आपको भक्त प्रह्लाद और कामदेव की कथा से मिल जाएगा।
Holashtak 2020: आज से होलाष्टक प्रारंभ हो रहा है। होली से पूर्व 8 दिनों के समय को होलाष्टक कहते हैं, जो इस वर्ष 03 मार्च से लेकर 09 मार्च तक है। अपशगुन के कारण इसमें मांगलिक कार्यों को करना वर्जित होता है। होलाष्टक शुभ क्यों नहीं होता है? इसके संबंध में दो पौराणिक कथाएं हैं, जो भक्त प्रह्लाद और कामदेव से जुड़ी हुई हैं। आइए जानते हैं कि भक्त प्रह्लाद और कामदेव के साथ ऐसा क्या हुआ था, कि होलाष्टक अशुभ माने जाने लगा।
होलाष्टक में भक्त प्रह्लाद को दी गई थी यातनाएं
पौराणिक कथा के अनुसार, राजा हिरण्यकश्यप ने अपने बेटे प्रह्लाद को भगवान श्रीहरि विष्णु की भक्ति से दूर करने के लिए अनेक प्रकार की यातनाएं दी थीं। भक्त प्रह्लाद को फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से लेकर पूर्णिमा तिथि तक कई प्रकार की यातनाएं दी गईं, उनको मारने का भी प्रयास किया गया। लेकिन भगवान विष्णु ने हर बार उनके प्राणों की रक्षा की।
आठवें दिन यानी फाल्गुन पूर्णिमा की रात हिरण्यकश्यप ने भक्त प्रह्लाद को मारने के लिए अपनी बहन होलिका को अपने बेटे के साथ अग्नि में बैठाने की योजना बनाई, ताकि वह जलकर मर जाए और भगवान विष्णु की भक्ति से मुक्ति मिले। उसके राज्य में कोई भगवान विष्णु का नाम न ले।
Holashtak 2020: 03 मार्च से 8 दिनों के लिए लग रहा है होलाष्टक, होली तक न करें ये विशेष कार्य
योजना के अनुसार, होलिका भक्त प्रह्लाद को अपनी गोद में लेकर अग्नि में बैठ गई। होलिका ने अपने दिव्य वस्त्र पहन रखे थे, ताकि अग्नि से उसका बाल भी बांका न हो, लेकिन भगवान विष्णु की ऐसी कृपा हुई कि प्रह्लाद बच गया और होलिका जलकर मर गई। इस कारण से हर वर्ष होली से पूर्व रात को होलिका दहन होता है। होलिका दहन से पहले के आठ दिनों को होलाष्टक कहते हैं और यह अशुभ माना जाता है।
भगवान शिव ने कामदेव को किया था भस्म
होलाष्टक को अशुभ मानने का एक कारण यह भी है कि भगवान शिव ने फाल्गुन शुक्ल अष्टमी तिथि को कामदेव को भस्म कर दिया था। कामदेव का अपराध यह था कि उन्होंने भगवान शिव की तपस्या भंग करने का प्रयास किया था। कामदेव की पत्नी रति ने उनके अपराध के लिए शिवजी से क्षमा मांगी, तब भोलेनाथ ने कामदेव को पुनर्जीवन देने का आश्वासन दिया।