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Randhan Chhath 2020: किस दिन और क्यों मनाई जाती है हलषष्ठी या राधन छठ, जानें यहां

Randhan Chhath 2020 9 अगस्त यानी आज हलषष्ठी या राधन छठ का व्रत किया जाता है। इस दिन श्री कृष्ण के बड़े भाई बलराम जी का जन्म हुआ था। इसे बलराम जयंती भी कहते हैं।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Published: Sat, 08 Aug 2020 09:11 AM (IST)Updated: Sun, 09 Aug 2020 07:34 AM (IST)
Randhan Chhath 2020: किस दिन और क्यों मनाई जाती है हलषष्ठी या राधन छठ, जानें यहां
Randhan Chhath 2020: किस दिन और क्यों मनाई जाती है हलषष्ठी या राधन छठ, जानें यहां

Randhan Chhath 2020: 9 अगस्त यानी आज हलषष्ठी या ललही छठ का व्रत किया जाता है। इस व्रत को कई नामों से जाना जाता है। यह पर्व हलषष्ठी, हलछठ , राधन छठ, हरछठ व्रत, चंदन छठ, तिनछठी, तिन्नी छठ, ललही छठ, कमर छठ, या खमर छठ के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन श्री कृष्ण के बड़े भाई बलराम जी का जन्म हुआ था। इसे बलराम जयंती भी कहते हैं। हलषष्ठी का व्रत केवल पुत्रवती महिलाएं ही रखती हैं। इस दिन माताएं अपने पुत्र की लंबी उम्र की कामना करती हैं। भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष षष्ठी को हलषष्ठी पूजा की जाती है।

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श्रावण पूर्णिमा के 6 दिन बाद मनाई जाती है हलषष्ठी:

भगवान बलराम का मुख्य शस्त्र हल तथा मूसल है। हल धारण करने के चलते ही बलरामजी को हलदार भी कहते हैं। ये देवकी और वासुदेव की सातवीं संतान हैं। हलषष्ठी श्रावण पूर्णिमा के 6 दिन बाद मनाई जाती है। इसे चंद्रषष्ठी बलदेव छठ रंधन षष्ठी भी इस दिन खासतौर से किसान वर्ग भी पूजा करते हैं। इस दिन हल, मूसल और बैल को पूजा जाता है। इस दिन हल से जुते हुए अनाज व सब्जियों का उपयोग नहीं किया जाता है। साथ ही हल का इस्तेमाल भी नहीं किया जाता है।

इन बातों का रखें ख्याल:

जिन महिलाओं ने व्रत किया होता है वो व्रत के दौरान पसाई धान के चावल एवं भैंस के दूध का इस्तेमाल करती हैं। इस दिन गाय का दूध और दही उपयोग नहीं की जाती है। कहा जाता है कि इस दिन जो महिलाएं व्रत करती हैं वो महुआ के दातुन से दांत साफ करती हैं। इस व्रत का समापन भैंस के दूध से बने दही से और महुवा को पलाश के पत्ते पर खाकर किया जाता है। मान्यता है कि हरछठ के दिन निर्जला व्रत किया जाता है और शाम को पसही के चावल या महुए का लाटा बनाकर व्रत का पारण किया जाता है।  


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