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Hal Chhath 2019: जन्माष्टमी से दो दिन पूर्व हुए थे बलराम, संतान के दीर्घायु और सुखी जीवन के लिए रखते हैं व्रत

Hal Chhath 2019 भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी को हल छठ या बलराम जयंती मनाई जाती है। इस दिन भगवान कृष्ण के बड़े भाई बलराम का जन्म हुआ था।

By kartikey.tiwariEdited By: Published: Wed, 21 Aug 2019 12:42 PM (IST)Updated: Wed, 21 Aug 2019 12:42 PM (IST)
Hal Chhath 2019: जन्माष्टमी से दो दिन पूर्व हुए थे बलराम, संतान के दीर्घायु और सुखी जीवन के लिए रखते हैं व्रत
Hal Chhath 2019: जन्माष्टमी से दो दिन पूर्व हुए थे बलराम, संतान के दीर्घायु और सुखी जीवन के लिए रखते हैं व्रत

Hal Chhath 2019: भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी को हल छठ या बलराम जयंती मनाई जाती है। इस दिन भगवान कृष्ण के बड़े भाई बलराम का जन्म हुआ था। इसके दो दिन बाद ही कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है। इस वर्ष हल छठ 21 अगस्त दिन बुधवार को मनाई जा रही है, वहीं कृष्ण जन्माष्टमी 23 और 24 अगस्त को मनाई जाएगी। हल छठ के दिन बलराम जी की विधि विधान से पूजा की जाती है और व्रत रखा जाता है।

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हल छठ व्रत का महत्व

हल छठ व्रत महिलाएं अपनी संतान की लंबी आयु और सुखमय जीवन के लिए रखती हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन बलराम जी और हल की पूजा करने से संतान को लंबी आयु प्राप्त होती है और वह जीवन भर सुखी रहता है। बलराम जी की अस्त्र हल है, इसलिए इस दिन हल की पूजा करने का विधान है। हल के कारण ही इसे हल छठ कहा जाता है।

पूजा विधि

इस दिन महलाएं निर्जला व्रत रखती हैं। इस व्रत में शाम के समय पूजा का विधान है। शाम को महिलाएं एक प्रतिकात्मक तालाब बनाती हैं। पूजा के लिए पलाश और कांस की टहनियों को एक साथ बांधा जाता है। फिर चना, गेहूं, धान, जौ, मूंग, मक्का, महुआ आदि को बांस के एक पात्र में रख लेते हैं। इसके बाद दूध और गंगा जल से षष्ठी देवी की पूजा-अर्चना की जाती है। वहां पर चौक बनाकर हल छठ को स्थापित करते हैं और उसे जनेऊ अर्पित करते हैं तथा विधि विधान से उसकी पूजा करते हैं।

इस व्रत में महिलाओं को भैंस के दूध, दही और घी का प्रयोग करना होता है। इसमें गाय के दूध और दही का प्रयोग वर्जित है। इस व्रत के पारण में महिलाएं भैंस के दूध से बना दही और महुआ का सेवन करती हैं।


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