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Gupt Navratri 2022: गुप्त नवरात्रि के दौरान एकांत में करें देवी की दस महाविद्याओं के इन मंत्रों का जाप, होगी हर मनोकामना पूर्ण

Gupt Navratri 2022 नौ दिनों की गुप्त नवरात्रि शुरू हो चुकी है। इस दौरान मां दुर्गा के नौ स्वरूपों के साथ इन दस महाविद्याओं की पूजा करने का विधान है इस दौरान एकांत में दस महाविद्याओं के इन मंत्रों का जाप करना शुभ होगा।

By Shivani SinghEdited By: Published: Thu, 30 Jun 2022 08:27 AM (IST)Updated: Thu, 30 Jun 2022 02:45 PM (IST)
Gupt Navratri 2022: गुप्त नवरात्रि के दौरान एकांत में करें देवी की दस महाविद्याओं के इन मंत्रों का जाप, होगी हर मनोकामना पूर्ण
Gupt Navratri 2022: गुप्त नवरात्रि के दौरान करें देवी की दस महाविद्याओं के इन मंत्रों का जाप

नई दिल्ली, Gupt Navratri 2022: आज से गुप्त नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है जो 9 जुलाई को समाप्त होंगे। आषाढ़ मास में पड़ने वाली प्रतिपदा तिथि से गुप्त नवरात्रि की शुरुआत हो जाती है। इन दिनों में विशेष तांत्रिक विद्याओं की पूजा की जाती है। गुप्त नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा के साथ-साथ इन दस महाविद्याओं की पूजा की जाती है जिसमें मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी,भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता,त्रिपुर भैरवी, मं ध्रुमावती, मां बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी शामिल हैं।

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गुप्त नवरात्रि में खासतौर में तंत्र साधना के साथ मंत्र सिद्ध करने के लिए सबसे शुभ माना जाता है। इनमें से दस महाविद्याओं की पूजा विधिवत तरीके से करने से हर तरह की कामनाएं पूर्ण हो जाती है। इस नौ दिनों में महाविद्याओं की पूजा के साथ इन मंत्रों का जाप करना चाहिए। इससे जातक को शुभ फलों की प्राप्ति होती है।

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गुप्त नवरात्रि 2022 शुभ मुहूर्त

आषाढ़ मास की प्रतिपदा तिथि आरंभ- 29 जून को सुबह 8 बजकर 22 मिनट से शुरू

आषाढ़ मास की प्रतिपदा तिथि का समापन- 30 जून को सुबह 10 बजकर 49 मिनट तक

अभिजीत मुहूर्त- 30 जून को दोपहर 12 बजकर 3 मिनट से शुरू होकर 12 बजकर 57 मिनट तक रहेगा।

घटस्थापना का शुभ मुहूर्त- 30 जून को सुबह 5 बजकर 48 मिनट से 10 बजकर 16 मिनट तक

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दस महाविद्याओं के मंत्र

1- देवी काली

मंत्र – 'ॐ क्रीं क्रीं क्रीं दक्षिणे कालिके क्रीं क्रीं क्रीं स्वाहाः'

2- तारा देवी

मंत्र- ‘ॐ ह्रीं स्त्रीं हुं फट’

3. त्रिपुर सुंदरी देवी

मंत्र – ‘ॐ ऐं ह्रीं श्रीं त्रिपुर सुंदरीयै नमः’

4. देवी भुवनेश्वरी

मंत्र – ‘ॐ ऐं ह्रीं श्रीं नमः’

5. देवी छिन्नमस्ता

मंत्र- ‘श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं वज्र वैरोचनीयै हूं हूं फट स्वाहा:’

6. त्रिपुर भैरवी देवी

मंत्र- ‘ॐ ह्रीं भैरवी कलौं ह्रीं स्वाहा:’

7. धूमावती माता

मंत्र- ‘ॐ धूं धूं धूमावती देव्यै स्वाहा:’

8. बगलामुखी माता

मंत्र – ‘ॐ ह्लीं बगलामुखी देव्यै ह्लीं ॐ नम:’

9. मातंगी देवी

मंत्र- ‘ॐ ह्रीं ऐं भगवती मतंगेश्वरी श्रीं स्वाहा:’

10. देवी कमला

मंत्र- ‘ॐ हसौ: जगत प्रसुत्तयै स्वाहा:’

Pic Credit- instagram/artistic_saranjit

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'


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