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Gupt Navratri 2021: आज गुप्त नवरात्रि का नौंवा दिन, पूजा करते समय पढ़ें मंत्र और स्तुति

Gupt Navratri 2021 आज गुप्त नवरात्रि की नौवीं तिथि है। आज नवमी है। कल गुप्त नवरात्रि की नवमी तिथि है। आज के दिन मां मातंगी की पूजा पूरे विधि-विधान से की जाती है। शास्त्रों के अनुसार देवी मातंगी को प्रकृति की स्वामिनी कहा जाता है।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Published: Sun, 21 Feb 2021 07:00 AM (IST)Updated: Sun, 21 Feb 2021 01:36 PM (IST)
Gupt Navratri 2021: आज गुप्त नवरात्रि का नौंवा दिन, पूजा करते समय पढ़ें मंत्र और स्तुति
Gupt Navratri 2021: आज गुप्त नवरात्रि का नौंवा दिन, पूजा करते समय पढ़ें मंत्र और स्तुति

Gupt Navratri 2021: आज गुप्त नवरात्रि की नौवीं तिथि है। आज नवमी है। कल गुप्त नवरात्रि की नवमी तिथि है। आज के दिन मां मातंगी की पूजा पूरे विधि-विधान से की जाती है। शास्त्रों के अनुसार, देवी मातंगी को प्रकृति की स्वामिनी कहा जाता है। वहीं, पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, देवी मातंगी कला, तंत्र और वचन की देवी कहा गया है। ऐसा माना और कहा जाता है कि देवी मातंगी को खुश करने के लिए व्रत नहीं रखा जाता है। इन्हें मन और वचन से ही प्रसन्न किया जा सकता है।

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मातंगी मां को भगवान शिव की शक्ति माना गया है। साथ ही इन्हें गृहस्थ जीवन को बेहतर करने , असुरों को मोहित करने और साधकों को मनचाहा वरदान देने वाली देवी भी कहा जाता है। इन्हें सुमुखी, लघुश्यामा या श्यामला, राज-मातंगी, कर्ण-मातंगी, चंड-मातंगी, वश्य-मातंगी, मातंगेश्वरी आदि नामों से भी पुकारा जाता है। कहा जाता है कि 10 महाविद्याओं में से नौवीं विद्या हैं। इनका वर्ण श्याम है। इनके मस्तक पर चंद्रमा है।

मां मातंगी का मंत्र:

माँ मातंगी देवी ध्यान:

श्यामांगी शशिशेखरां त्रिनयनां वेदैः करैर्विभ्रतीं, पाशं खेटमथांकुशं दृढमसिं नाशाय भक्तद्विषाम् ।

रत्नालंकरणप्रभोज्जवलतनुं भास्वत्किरीटां शुभां, मातंगी मनसा स्मरामि सदयां सर्वाथसिद्धिप्रदाम् ।।

माँ मातंगी देवी बीज मंत्र:

।। ॐ ह्रीं क्लीं हूं मातंग्यै फट् स्वाहा ।।

माँ मातंगी देवी महा मन्त्र:

ॐ ह्रीं ऐं भगवती मतंगेश्वरी श्रीं स्वाहा:

आर्थिक स्थिति मजबूत करने के लिए मंत्र:

ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं महा मातंगी प्रचिती दायिनी,लक्ष्मी दायिनी नमो नमः।

सभी सुखों की प्राप्ति हेतु मंत्र:

क्रीं ह्रीं मातंगी ह्रीं क्रीं स्वाहा:

माँ मातंगी स्तुति:

श्यामवर्णा, त्रिनयना

मस्तक पर चंद्रमा

चतुर्भुजा, दिव्यास्त्र लिये

रत्नाभूषण धारिणी

गजगामिनी ,महाचांडालनी

माँ मातंगी !

सर्व लोक वशकारिणी, महापिशाचिनी

कला, विद्या, ज्ञान प्रदायिनी

मतन्ग कन्या माँ मातंगी

हम साधक शुक जैसे हैं

ज्ञान दिला दो हमको माँ

हम करते तेरा ध्यान निरंतर

आपका हे माँ मातंगी!!

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।' 


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