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गुप्त नवरात्रि पर जरूर करें मां दुर्गा के मंत्रों का जाप, पूरी होती है मनोकामनाएं

Maa Durga Mantra गुप्त नवरात्रि चल रही है। इस दौरान मां दुर्गा कि पूजा-अर्चना की जाती है। यह एक ऐसा पर्व माना जाता है जब माता दुर्गा महाकाली महालक्ष्मी और सरस्वती की साधना कर जीवन को सार्थक करने की कामना की जाती है।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Published: Sat, 20 Feb 2021 10:23 AM (IST)Updated: Sat, 20 Feb 2021 12:57 PM (IST)
गुप्त नवरात्रि पर जरूर करें मां दुर्गा के मंत्रों का जाप, पूरी होती है मनोकामनाएं
गुप्त नवरात्रि पर जरूर करें मां दुर्गा के मंत्रों का जाप, पूरी होती है मनोकामनाएं

Maa Durga Mantra: गुप्त नवरात्रि चल रही है। इस दौरान मां दुर्गा कि पूजा-अर्चना की जाती है। यह 12 फरवरी से शुरू हुई थी और यह 21 फरवरी दिन रविवार को समाप्त होगी। गुप्त नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा तो होती ही है साथ ही उनकी 10 महाविद्याओं की भी अराधना की जाती है। यह एक ऐसा पर्व माना जाता है जब माता दुर्गा, महाकाली, महालक्ष्मी और सरस्वती की साधना कर जीवन को सार्थक करने की कामना की जाती है। मां की पूजा करते समय उनकी आरती, चालीसा और भजनों का पाठ अवश्य करना चाहिए। साथ ही अगर आप जीवन में भय एवं बाधाएं अपार हैं तो कुछ मंत्रों का जाप भी करना चाहिए। जागरण अध्यात्म के इस लेख में हम आपको मां दुर्गा के 4 मंत्रों की जानकारी दे रहे हैं जिनका जाप गुप्त नवरात्रि पर करने से जीवन भय एवं बाधारहित होकर समस्त सुखों को प्राप्त‍ किया जा सकता है। कहा जाता है कि इन मंत्रों का जाप हर दिन भी किया जा सकता है। आइए पढ़ते हैं मां दुर्गा के प्रभावशाली मंत्र:

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1. सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।

शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।।

2. ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।

दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।

3. या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

या देवी सर्वभूतेषु दयारूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

या देवी सर्वभूतेषु शांतिरूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

4. नवार्ण मंत्र 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै' (इस मंत्र का जाप ज्यादा से ज्यादा बार अवश्य करें)

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।' 


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