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Gogadev Navami Janm Katha: इस तरह हुआ था गोगा देव का जन्म, जरूर पढ़ें यह रोचक गाथा

Gogadev Navami Katha गोगा देव राजस्थान के लोक देवता माने जाते हैं। इन्हें जाहरवीर गोग राणा के नाम से भी जाना जाता है। इनके जन्म को लेकर कथा प्रचलित है

By Shilpa SrivastavaEdited By: Published: Thu, 13 Aug 2020 07:30 AM (IST)Updated: Thu, 13 Aug 2020 10:43 AM (IST)
Gogadev Navami Janm Katha: इस तरह हुआ था गोगा देव का जन्म, जरूर पढ़ें यह रोचक गाथा
Gogadev Navami Janm Katha: इस तरह हुआ था गोगा देव का जन्म, जरूर पढ़ें यह रोचक गाथा

Gogadev Navami Katha: गोगा देव राजस्थान के लोक देवता माने जाते हैं। इन्हें जाहरवीर गोग राणा के नाम से भी जाना जाता है। इनके जन्म को लेकर कथा प्रचलित है जिसका वर्णन हम यहां कर रहे हैं। राजस्थान के महापुरुष गोगाजी का जन्म भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि को हुआ था। इसे गोगा नवमी के नाम से जाना जाता है।

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मान्यता है कि गोगाजी की मां बाछल देवी को संतान नहीं हुई थी वो निःसंतान थीं। संतान प्राप्त के लिए बाछल देवी ने हर तरह के यत्न कर लिए थे। लेकिन उन्हें किसी भी तरह से संतान सुख नहीं मिला। गुरु गोरखनाथ ‘गोगामेडी’ के टीले पर तपस्या में लीन थे। तभी बाछल देवी उनकी शरण में पहुंच गईं। उन्होंने उन्हें अपनी सभी परेशानी बताईं। तभी गुरु गोरखनाथ ने उन्हें पुत्र प्राप्ति का वरदान दिया। गोरखनाथ ने बाछल देवी को प्रसाद के तौर पर एक गुगल नामक दिया। यह प्रसाद खाकर बाछल देवी गर्भवती हो गई। इसके बाद गोगा देव (जाहरवीर) का जन्म हुआ। गुगल फल के नाम से ही इनका नाम गोगाजी पड़ गया।

गोगा देव जी से संबंधित डिटेल्स:

गोगा देव गुरु गोरखनाथ के परम शिष्य थे। इनका जन्म चुरू जिले के ददरेवा गांव में हुआ था। यहां पर लगभग सभी धर्मों और संप्रदायों के लोग हाजरी देने आते हैं। मुस्लिम समाज के लोग इन्हें जाहर पीर के नाम से पुकारते हैं। कहा जाता है कि यह स्थान हिंदू और मुस्लिम की एकता का प्रतीक है। लोकमान्यता व लोककथाओं की मानें तो गोगा जी को सांपों के देवता के रूप में भी पूजा जाता है। इन्हें गुग्गा वीर, राजा मण्डलीक व जाहर पीर के नाम से भी जाना जाता है। इनकी जन्मभूमि पर उनके घोड़े का अस्तबल आज भी है। इतने वर्षों बाद भी उनके घोड़े की रकाब वहीं पर मौजूद है। साथ ही यहा उनके गुरु गोरक्षनाथ का आश्रम भी उपस्थित है।

कहा जाता है कि गोगा भक्त यहां पर कीर्तन करते हुए आते हैं। वहीं, उनके जन्म स्थान पर बने मंदिर पर माथा भी टेकते हैं। साथ ही मन्नत भी मांगते हैं। गोगाजी का समाधि स्थल हनुमानगढ़ जिले के नोहर उपखंड में स्थित है। यह इनके जन्म स्थान से लगभग 80 किमी दूर है।  

डिस्क्लेमर- 

''इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना में निहित सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है. विभिन्स माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्म ग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारी आप तक पहुंचाई गई हैं. हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना के तहत ही लें. इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी. ''


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