Ganesh Chaturthi 2020 Janm Katha: माता पार्वती ने इस तरह की थी श्री गणेश जी की रचना, पढ़ें गणपति की जन्म कथा
Ganesh Chaturthi 2020 पूज्य गणेशजी का नाम लिए बिना कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है। कोई भी मंगल काम हो तो उससे पहले गणेश जी का नाम अवश्य ही लिया जाता है।
Ganesh Chaturthi 2020 Janm Katha: भगवान शिव के पुत्र प्रथम पूज्य गणेशजी का नाम लिए बिना कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है। कोई भी मंगल काम हो तो उससे पहले गणेश जी का नाम अवश्य ही लिया जाता है। गणेश जी का विवाह प्रजापति विश्वकर्मा की पुत्रियों के साथ हुआ था। इनका नाम ऋद्धि और सिद्धि था। जहां सिद्धि ने क्षेम तो ऋद्धि ने लाभ नाम के पुत्र को जन्म दिया था। गणेश जी के पुत्रों को लोक-परंपरा में शुभ-लाभ के नाम से जाना जाता है। गणेश जी के विवाह की कथा बेहद ही रोचक है। विवाह के अलावा इनसे जुड़ी कई कथाएं हैं जो प्रचलित हैं। आज से लेकर गणेश चतुर्थी तक हम आपको गणेश जी से जुड़ी 5 कथाओं की जानकारी देंगे। तो चलिए पढ़ते हैं गणेश जी की पहली कथा के बारे में।
पुराणों के अनुसार, माता पार्वती ने पुत्र प्राप्ति के लिए पुण्यक नामक उपवास किया था। इस व्रत के प्रभाव से ही माता पार्वती को पुत्र के रूप में श्री गणेश प्राप्त हुए थे। इस व्रत को करने के लिए भोलेनाथ ने इंद्रदेव से पारिजात वृक्ष देने को कहा था। लेकिन इंद्र ने भोलेनाथ को पारिजात वृक्ष देने से मना कर दिया था। इंद्र देव के मना करने पर भोलेनाथ ने पार्वती जी के व्रत के लिए पारिजात के एक वन का ही निर्माण कर डाला।
शिव महापुराण के अनुसार, माता पार्वती की सखी जया और विजया ने उन्हें गणेशजी का निर्माण करने का विचार दिया था। जया और विजया ने पार्वती जी से कहा था कि नंदी और सभी गण सिर्फ महादेव की आज्ञा को ही मानते और पालन करते हैं। ऐसे में उन्हें भी एक ऐसे गण को रचना करनी चाहिए जो केवल उनकी ही आज्ञा का पालन करें। जया और विजया के इस विचार से प्रभावित होकर माता पार्वती ने श्री गणेश की रचना की। इनकी रचना पार्वती जी ने अपने शरीर के मैल से की थी।