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Dussehra 2020: दशहरे को है अबूझ मुहूर्त, कर सकते हैं मनचाही खरीदारी और मांगलिक कार्य

Dussehra 2020 शारदीय नवरात्र पर्व की शुरुआत शनिवार 17 अक्टूबर से सर्वार्थसिद्धि योग में हुई और नवरात्र 25 अक्टूबर तक रहेंगे। शारदीय नवरात्रि की धूम पूरे देश में है। माता की भक्ति में लीन भक्तों को अब अष्टमी नवमी और दशहरा का इंतजार है।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Published: Sat, 24 Oct 2020 07:14 AM (IST)Updated: Sun, 25 Oct 2020 07:01 AM (IST)
Dussehra 2020: दशहरे को है अबूझ मुहूर्त, कर सकते हैं मनचाही खरीदारी और मांगलिक कार्य
Dussehra 2020: दशहरे को है अबूझ मुहूर्त, कर सकते हैं मनचाही खरीदारी और मांगलिक कार्य

Dussehra 2020: शारदीय नवरात्र पर्व की शुरुआत शनिवार 17 अक्टूबर से सर्वार्थसिद्धि योग में हुई और नवरात्र 25 अक्टूबर तक रहेंगे। शारदीय नवरात्रि की धूम पूरे देश में है। माता की भक्ति में लीन भक्तों को अब अष्टमी, नवमी और दशहरा का इंतजार है। इस साल अष्टमी और नवमी तिथि एक साथ पड़ने के कारण लोगों के बीच अष्टमी और नवमी तिथि को लेकर असमंजस है। इस दिन यानी रविवार को सुबह नवमी और दोपहर से दशमी तिथि शुरू हो जाएगी। इस कारण देश में कई जगहों पर इसी दिन दशहरा मनाया जाएगा। ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि अश्विन महीने के शुक्लपक्ष की दशमी तिथि पर विजय मुहूर्त में विजयदशमी पर्व मनाया जाता है। शुभ मुहूर्त और तिथि का से संयोग 25 अक्टूबर को ही बन रहा है।

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दशहरे को अबूझ मुहूर्त माना गया है। यानी इस दिन प्रॉपर्टी, व्हीकल और हर तरह की खरीदारी के लिए शुभ मुहूर्त रहेगा। दशहरे पर देश भर में रावण के पूतले जलाएं जाएंगे। हालांकि इस बार कोरोना महामारी को देखते हुए आयोजन फीका रह सकता है। दशहरे के अगले दिन यानी 26 अक्टूबर को मां दुर्गा की मूर्ति का विसर्जन होगा। उस दिन सुबह 06:29 बजे से सुबह 08:43 बजे के मध्य दुर्गा विसर्जन कर देना चाहिए।

अष्टमी 24 और नवमी व दशहरा 25 को:

नवरात्र की अष्टमी, नवमी और दशमी तिथि को लेकर मतभेद पर पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर के निदेशक विश्वविख्यात भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास ने बताया कि इस बार अष्टमी तिथि शनिवार को पूरे दिन रहने से 24 अक्टूबर को महाष्टमी मनाई जाएगी। इस दिन देवी महागौरी की पूजा की जाती है। इसके अगले दिन यानी 25 अक्टूबर का सूर्योदय नवमी तिथि में ही होगा और सुबह करीब 11:14 तक ये तिथि रहेगी। इस तरह शारदीय नवरात्रि में कन्या पूजन या कुमारी पूजा, महाष्टमी और महानवमी दोनों ही तिथियों को किया जाएगा। इसके बाद दशमी तिथि शुरू हो जाएगी।


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