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Varad Chaturthi 2022: आज है वरद गणेश चतुर्थी, जानें-इस दिन के उपाय

Varad Chaturthi 2022 दैविक काल से भगवान गणेश जी की सर्वप्रथम पूजा की जाती है। आसान शब्दों में कहें तो शुभ कार्य की शुरुआत श्री गणेशाय नमः से की जाती है। अतः नववर्ष के प्रथम चतुर्थी को पूजा करने पर जीवन में व्याप्त सभी दुखों को लंबोदर हर लेते हैं।

By Umanath SinghEdited By: Published: Wed, 05 Jan 2022 04:21 PM (IST)Updated: Thu, 06 Jan 2022 01:43 PM (IST)
Varad Chaturthi 2022: आज है वरद गणेश चतुर्थी, जानें-इस दिन के उपाय
Varad Chaturthi 2022: आज है वरद गणेश चतुर्थी, जानें-इस दिन के उपाय

Varad Chaturthi 2022: कल वरद गणेश चतुर्थी है। यह पौष माह में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाई जाती है। इस दिन विघ्नहर्ता यानी संकट को दूर करने वाले भगवान गणेश जी पूजा करने का विधान है। दैविक काल से भगवान गणेश जी की सर्वप्रथम पूजा की जाती है। आसान शब्दों में कहें तो शुभ कार्य की शुरुआत श्री गणेशाय नमः से की जाती है। अतः नववर्ष के प्रथम चतुर्थी को सच्ची श्रद्धा और भक्तिभाव से भगवान की पूजा करने पर जीवन में व्याप्त सभी दुखों को लंबोदर हर लेते हैं। इस दिन विशेष उपाय करने का भी विधान है। अगर आप भी भगवान गणेश को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो वरद चतुर्थी के दिन ये उपाय जरूर करें। आइए जानते हैं-

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1.

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।

निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥

2.

गजाननं भूतगणाधिसेवितं,

कपित्थजम्बूफलचारुभक्षणम्।

उमासुतं शोकविनाशकारकम्न,

मामि विघ्नेश्वरपादपङ्कजम्॥

3.

ऐसी मान्यता है कि शमी पेड़ की पूजा अर्चना करने से भगवान गणेश जी प्रसन्न होते हैं। अतः वरद गणेश चतुर्थी के दिन शमी पेड़ की पूजा करें।

4.

भगवान गणेश को सिंदूर बेहद प्रिय है। अत: वरद गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश को प्रणाम कर दूर्वा और सिंदूर उनके चरणों में अर्पित करें। इससे भगवान गणेश की कृपा आप पर जरूर बरसेगी।

5.

भगवान गणेश को मोदक और लड्डू अति प्रिय है। इसके लिए वरद गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश को मोदक या लड्डू अवश्य भोग लगाएं।

6.

अगर आप सुख और समृद्धि की कामना करते हैं, तो वरद चतुर्थी को भगवान गणेश को लाल फूल अर्पित करें। अब अगले दिन इस फूल को अपने पर्स में रख लें। इससे विषम परिस्थिति में भी भगवान गणेश की कृपा बनी रहती है। पूजा का समापन आरती से करें।

7.

गणेश जी की आरती

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।

एकदंत, दयावन्त, चार भुजाधारी,

माथे सिन्दूर सोहे, मूस की सवारी।

पान चढ़े, फूल चढ़े और चढ़े मेवा,

लड्डुअन का भोग लगे, सन्त करें सेवा।।

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश, देवा।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।

अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया।

बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया।।

'सूर' श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।।

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।

दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।

कामना को पूर्ण करो जय बलिहारी।

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'


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