Move to Jagran APP

शनिदेव की कृपा पाने के लिए शनिवार को जरूर करें ये आरती

ज्योतिषों की मानें तो कुंडली में शनि को दोष लगने पर व्यक्ति के जीवन में अस्थिरता आ जाती है। ऐसा व्यक्ति के कर्म के अनुसार होता है। अच्छे कर्म करने वाले शुभ फल देते हैं और बुरे कर्म करने वालों को दंड देते हैं।

By Umanath SinghEdited By: Published: Fri, 24 Dec 2021 11:21 AM (IST)Updated: Fri, 21 Jan 2022 09:04 PM (IST)
शनिदेव की कृपा पाने के लिए शनिवार को जरूर करें ये आरती
शनिदेव की कृपा पाने के लिए शनिवार को जरूर करें ये आरती

शनिवार का दिन शनिदेव को समर्पित होता है। इस दिन शनिदेव की पूजा-उपासना का विधान है। ऐसी मान्यता है कि जो भक्त शनिवार के दिन सच्ची श्रद्धा और भक्ति से शनिदेव की पूजा करता है। उसकी सभी मनोकामनाएं शीघ्र पूर्ण होती हैं। शनिदेव भगवान श्रीकृष्ण के अनन्य भक्त हैं। अत: भगवान कृष्ण की पूजा करने से भी शनि की समस्त बाधा समाप्त हो जाती है। ज्योतिषों की मानें तो कुंडली में शनि को दोष लगने पर व्यक्ति के जीवन में अस्थिरता आ जाती है। ऐसा व्यक्ति के कर्म के अनुसार होता है। शनिदेव को न्याय का देवता माना जाता है। अच्छे कर्म करने वाले शुभ फल देते हैं और बुरे कर्म करने वालों को दंड देते हैं। इसके लिए व्यक्ति को जीवन में हमेशा अच्छे कर्म करना चाहिए। साथ ही शनिदेव की कृपा पाने के लिए शनिवार को पूजा-उपासना करनी चाहिए। इस दिन शनिदेव की पूजा-आरती करने से बिगड़े काम भी बन जाते हैं। अगर आप भी शनिदेव की कृपा पाना चाहते हैं, तो शनिवार के दिन ये आरती जरूर करें-

loksabha election banner

शनिवार व्रत की आरती:

आरती कीजै नरसिंह कुंवर की।

वेद विमल यश गाऊं मेरे प्रभुजी॥

पहली आरती प्रहलाद उबारे।

हिरणाकुश नख उदर विदारे॥

दूसरी आरती वामन सेवा।

बलि के द्वार पधारे हरि देवा॥

तीसरी आरती ब्रह्म पधारे।

सहसबाहु के भुजा उखारे॥

चौथी आरती असुर संहारे।

भक्त विभीषण लंक पधारे॥

पांचवीं आरती कंस पछारे।

गोपी ग्वाल सखा प्रतिपाले॥

तुलसी को पत्र कंठ मणि हीरा।

हरषि-निरखि गावें दास कबीरा॥

शनिदेव की आरती:

जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी।

सूर्य पुत्र प्रभु छाया महतारी॥

जय जय श्री शनि देव....

श्याम अंग वक्र-दृ‍ष्टि चतुर्भुजा धारी।

नीलाम्बर धार नाथ गज की असवारी॥

जय जय श्री शनि देव....

क्रीट मुकुट शीश राजित दिपत है लिलारी।

मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी॥

जय जय श्री शनि देव....

मोदक मिष्ठान पान चढ़त हैं सुपारी।

लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी॥

जय जय श्री शनि देव....

देव दनुज ऋषि मुनि सुमिरत नर नारी।

विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी॥

जय जय श्री शनि देव भक्तन हितकारी।।

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.