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Devshayani Ekadashi 2022: देवशयनी एकादशी पर बन रहा दुर्लभ योग, जानिए तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व

Devshayani Ekadashi 2022 आषाढ़ मास के एकादशी तिथि को देवशयनी और आषाढ़ी एकादशी के नाम से जानते हैं। इस दिन से भगवान विष्णु चार मास के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं। जानिए देवशयनी एकादशी की तिथि शुभ मुहूर्त और महत्व

By Shivani SinghEdited By: Published: Wed, 29 Jun 2022 01:48 PM (IST)Updated: Tue, 05 Jul 2022 09:49 AM (IST)
Devshayani Ekadashi 2022: देवशयनी एकादशी पर बन रहा दुर्लभ योग, जानिए तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व
Devshayani Ekadashi 2022: देवशयनी एकादशी की तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व

नई दिल्ली, Devshayani Ekadashi 2022: आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवशयनी एकादशी के रूप में माना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, साल में कुल 24 एकादशी पड़ती हैं, जिसमें से हर मास में 2 एकादशी पड़ती है। लेकिन एकादशियों में से देवशयनी एकादशी का विशेष महत्व बताया गया है। क्योंकि इसी एकादशी के बाद भगवान विष्णु पूरे चार मास के लिए योगनिद्रा में चले जाएंगे और इसके बाद भगवान विष्णु कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन योग निद्रा से जाते हैं। इस पूरे चार मास को चातुर्मास कहा जाता है। इन चार माह में भगवान विष्णु सृष्टि का संचार करके हैं। इस साल देवशयनी एकादशी 10 जुलाई 2022, रविवार को पड़ रही है। जानिए शुभ मुहूर्त और महत्व।

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देवशयनी एकादशी का शुभ मुहूर्त

देवशयनी एकादशी तिथि- 09 जुलाई को शाम 04 बजकर 39 मिनट से शुरू

देवशयनी एकादशी समाप्त- 10 जुलाई को दोपहर 02 बजकर 13 मिनट तक

उदया तिथि के अनुसार, देवशयनी एकादशी का व्रत 10 जुलाई को रखा जाएगा।

व्रत का पारण- 11 जुलाई को सुबह 5 बजकर 56 मिनट से 8 बजकर 36 मिनट तक

देवशयनी एकादशी पर बन रहे हैं खास योग

इस साल देवशयनी एकादशी पर तीन खास योग बन रहे हैं।

रवि योग- 10 जुलाई सुबह 5 बजकर 32 मिनट से लेकर 11 जुलाई सुबह 9 बजकर 56 मिनट तक

शुभ योग- 10 जुलाई सुबह 04 बजकर 02 मिनट से 11 जुलाई तड़के 12 बजकर 45 मिनट तक

शुक्ल योग-  11 जुलाई तड़के 12 बजकर 45 मिनट से लेकर रात 9 बजकर 01 मिनट तक

अनुराधा नक्षत्र- 10 जुलाई सुबह 9 बजकर 55 मिनट से 11 जुलाई सुबह 07 बजकर 50 मिनट तक

देवशयनी एकादशी का महत्व

24 एकादशियों में से देवशयनी एकादशी का काफी महत्व है। इस एकादशी के साथ भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं। जिसके बाद से पूरे 4 मास से लिए भगवान शिव सृष्टि का संचालन करते हैं। चातुर्मास के दौरान किसी भी तरह के मांगलिक , शुभ काम करने की मनाही होती है।

Pic Credit- Instagram/_jadevine15_

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'


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