Vasant Panchami 2022: वसंत पंचमी पर करें मां सरस्वती के इन मंत्रों का जाप
Vasant Panchami 2022 माँ सरस्वती को संगीत और विद्या की देवी मां शारदे मां वीणापाणि वीणावादनी मां बागेश्वरी मां भगवती और मां वाग्यदेवी आदि नामों से जाना जाता है। मां परम चेतना हैं और मां हमारी बुद्धि प्रज्ञा मनोवृत्तियों आदि की संरक्षिका हैं।
Vasant Panchami 2022: 5 फरवरी को वसंत पंचमी है। यह पर्व हर वर्ष माघ माह में शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है। वसंत पंचमी के दिन मां शारदे का प्रादुर्भाव हुआ है। अतः माघ माह में शुक्ल पक्ष की पंचमी को मां की पूजा-उपासना कर उनका जनमोत्स्व जनमोत्स्व मनाया जाता है। माँ सरस्वती को संगीत और विद्या की देवी, मां शारदे, मां वीणापाणि, वीणावादनी, मां बागेश्वरी, मां भगवती और मां वाग्यदेवी आदि नामों से जाना जाता है। परम चेतना मां हमारी बुद्धि, प्रज्ञा, मनोवृत्तियों आदि की संरक्षिका हैं। देश के सभी हिस्सों में भी वसंत पंचमी के दिन विद्या की देवी मां शारदे की पूजा-उपासना की जाती है। अगर आप भी मां की कृपा पाना चाहते हैं, तो वसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती के इन मंत्रों का जाप अवश्य करें-
देवी सूक्त से सरस्वती मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेणसंस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
मूल मंत्र
ॐ ऎं सरस्वत्यै ऎं नमः।
सरस्वती पूजा मंत्र
विघ्न-बाधाओं को दूर करने के लिए
ऐं ह्रीं श्रीं अंतरिक्ष सरस्वती परम रक्षिणी।
मम सर्व विघ्न बाधा निवारय निवारय स्वाहा।।
सरस्वती देवी का मूल मंत्र
ओम ऐं सरस्वत्यै ऐं नमः।
सरस्वती वंदना
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता।
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना॥
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।
सा माम् पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥1॥
शुक्लाम् ब्रह्मविचार सार परमाम् आद्यां जगद्व्यापिनीम्।
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्॥
हस्ते स्फटिकमालिकाम् विदधतीम् पद्मासने संस्थिताम्।
वन्दे ताम् परमेश्वरीम् भगवतीम् बुद्धिप्रदाम् शारदाम्॥2॥
मां सरस्वती का संपूर्ण मंत्र
ऐं ह्रीं श्रीं अंतरिक्ष सरस्वती परम रक्षिणी।
मम सर्व विघ्न बाधा निवारय निवारय स्वाहा।।
इस मंत्र के जाप से सभी विघ्न-बाधाओं का नाश होता है।
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता।
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना॥
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।
सा माम् पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥
शुक्लाम् ब्रह्मविचार सार परमाम् आद्यां जगद्व्यापिनीम्।
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्॥
हस्ते स्फटिकमालिकाम् विदधतीम् पद्मासने संस्थिताम्।
वन्दे ताम् परमेश्वरीम् भगवतीम् बुद्धिप्रदाम् शारदाम्॥
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