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Suryadev Aarti: सूर्यदेव की पूजा करते समय जरूर करें यह आरती, मनोकामना होती है पूरी

Suryadev Aarti आज का दिन सूर्यदेव को समर्पित होता है। मान्यतानुसार आज के दिन सूर्यदेव की विधि-विधान के साथ पूजा करने पर व्यक्ति को जीवन में शांति प्राप्त होती है। कहा तो यह भी जाता है कि हर दिन सूर्य देव को नमस्कार करना बेहद ही शुभ माना जाता है।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Published: Sun, 21 Mar 2021 06:30 AM (IST)Updated: Sun, 21 Mar 2021 08:47 AM (IST)
Suryadev Aarti: सूर्यदेव की पूजा करते समय जरूर करें यह आरती, मनोकामना होती है पूरी
Suryadev Aarti: सूर्यदेव की पूजा करते समय जरूर करें यह आरती, मनोकामना होती है पूरी

Suryadev Aarti: आज रविवार है। आज का दिन सूर्यदेव को समर्पित होता है। मान्यतानुसार, आज के दिन सूर्यदेव की विधि-विधान के साथ पूजा करने पर व्यक्ति को जीवन में शांति प्राप्त होती है। कहा तो यह भी जाता है कि हर दिन सूर्य देव को नमस्कार करना बेहद ही शुभ माना जाता है। सूर्यदेव की पूजा करते समय व्यक्ति को सूर्यदेव की आरती सुननी या पढ़नी चाहिए। इससे व्यक्ति के जीवन में खुशहाली आती है। इस दिन पूजा करते समय सूर्यदेव की आरती और रविवार की आरती करनी चाहिए। तो आइए पढ़ते हैं सूर्यदेव की आरती और रविवार की आरती।

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श्री सूर्य देव की आरती:

जय जय जय रविदेव, जय जय जय रविदेव।

जय जय जय रविदेव, जय जय जय रविदेव॥

रजनीपति मदहारी, शतदल जीवनदाता।

षटपद मन मुदकारी, हे दिनमणि दाता॥

जग के हे रविदेव, जय जय जय रविदेव।

जय जय जय रविदेव, जय जय जय रविदेव॥

नभमंडल के वासी, ज्योति प्रकाशक देवा।

निज जन हित सुखरासी, तेरी हम सबें सेवा॥

करते हैं रविदेव, जय जय जय रविदेव।

जय जय जय रविदेव, जय जय जय रविदेव॥

कनक बदन मन मोहित, रुचिर प्रभा प्यारी।

निज मंडल से मंडित, अजर अमर छविधारी॥

हे सुरवर रविदेव, जय जय जय रविदेव।

जय जय जय रविदेव, जय जय जय रविदेव॥

श्री रविवार की आरती:

कहुं लगि आरती दास करेंगे,

सकल जगत जाकि जोति विराजे।

सात समुद्र जाके चरण बसे,

काह भयो जल कुंभ भरे हो राम।

कोटि भानु जाके नख की शोभा,

कहा भयो मंदिर दीप धरे हो राम।

भार अठारह रामा बलि जाके,

कहा भयो शिर पुष्प धरे हो राम।

छप्पन भोग जाके प्रतिदिन लागे,

कहा भयो नैवेद्य धरे हो राम।

अमित कोटि जाके बाजा बाजें,

कहा भयो झनकारा करे हो राम।

चार वेद जाके मुख की शोभा,

कहा भयो ब्रह्मावेद पढ़े हो राम।

शिव सनकादिक आदि ब्रह्मादिक,

नारद मुनि जाको ध्यान धरे हो राम।

हिम मंदार जाके पवन झकोरें,

कहा भयो शिव चंवर ढुरे हो राम।

लख चौरासी बंध छुड़ाए,

केवल हरियश नामदेव गाए हो राम।

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'


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