Maha Ashtami 2020 Maa Mahagauri Puja: आज महाष्टमी के दिन करें मां महागौरी की पूजा, जानें विधि, मुहूर्त, मंत्र एवं महत्व
Maha Ashtami 2020 Maa Mahagauri Puja चैत्र नवरात्रि के आठवें दिन को महाष्टमी या दुर्गाष्टमी के नाम से जाना जाता है। इस दिन मां महगौरी की पूजा की जाती है।
Chaitra Navratri 2020 Maa Mahagauri Puja: चैत्र नवरात्रि के आठवें दिन को महाष्टमी या दुर्गाष्टमी के नाम से जाना जाता है। चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मां दुर्गा के आठवें स्वरूप मां महगौरी की पूजा विधि विधान से की जाती है। आज के दिन माता महागौरी की आराधना करने से व्यक्ति को सौभाग्य की प्राप्ति होती है, साथ ही सुख-समृद्धि में कोई कमी नहीं होती है। जीवन के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे मां की कृपा से सभी कष्टों से भी मुक्ति मिल जाती है। आज महाष्टमी के दिन कन्या पूजन का विधान है। कहा जाता है कि कन्याएं मां दुर्गा का साक्षात् स्वरूप होती हैं, इसलिए नवरात्रि के अष्टमी को कन्या पूजा की जाती है। आइए जानते हैं कि आज महाष्टमी के दिन मां महागौरी की पूजा विधि, मुहूर्त, मंत्र एवं महत्व क्या है?
मां महागौरी पूजा मुहूर्त
चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि यानी चैत्र नवरात्रि की महाष्टमी का प्रारंभ 01 अप्रैल 2020 दिन बुधवार को प्रात:काल 03 बजकर 49 मिनट से हो रहा है। महाष्टमी तिथि का समापन 02 अप्रैल दिन बुधवार को प्रात:काल 03 बजकर 40 मिनट पर हो रहा है। ऐसे में आपको महाष्टमी या दुर्गाष्टमी की पूजा सुबह तक कर लेनी चाहिए।
स्तुति
या देवी सर्वभूतेषु मां महागौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
प्रार्थना
श्वेते वृषेसमारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा॥
मां महागौरी बीज मंत्र
श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नम:।
मंत्र
1. ओम देवी महागौर्यै नमः।
2. माहेश्वरी वृष आरूढ़ कौमारी शिखिवाहना।
श्वेत रूप धरा देवी ईश्वरी वृष वाहना।।
कौन हैं मां महागौरी
मां महागौरी अत्यंत गौर वर्ण की हैं। वह श्वेत वस्त्र और श्वेत आभूषण पहनती हैं, इसलिए उनको श्वेतांबरधरा भी कहते हैं। मां महागौरी का वाहन बैल यानी वृष है, इसलिए उनको वृषारूढ़ा भी कहा जाता है। वृष पर सवार चार भुजाओं वाली मां महागौरी एक दाहिनी भुजा में त्रिशूल और एक बाईं भुजा में डमरू धारण करती हैं। वहीं, एक दाहिनी भुजा अभय मुद्रा में और दूसरी बाई भुजा वरद मुद्रा में रखती हैं।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, मां शैत्रपुत्री 16 वर्ष की अवस्था में अत्यंत गौर वर्ण की और सुंदर थीं, इसलिए उनका नाम महागौरी पड़ गया। लेकिन महागौरी से जुड़ी एक और कथा प्रचलित है। एक बार माता पार्वती भगवान शिव से नाराज होकर कैलास से कहीं दूर चली गईं। वर्षों तक साधना और कठोर तपस्या में लीन होने के कारण उनका शरीर अत्यंत गौर वर्ण का हो गया। जब भगवान शिव उनको खोजते हुए मिले तो देखकर चकित रह गए। तब उन्होंने माता पार्वती को गौर वर्ण का वरदान दिया, तब से माता पार्वती मां महागौरी कहलाने लगीं।
Maa Mahagauri Aarti And Puja Mantra: आज महाष्टमी को करें मां महागौरी की आरती और इन मंत्रों का जाप
मां महागौरी की पूजा का महत्व
जीवन में छाए संकट के बादलों को दूर करने और पापों से मुक्ति के लिए मां महागौरी की पूजा की जाती है। महागौरी की आराधना से व्यक्ति को सुख-समृद्धि के साथ सौभाग्य भी प्राप्त होता है।
मां महागौरी की पूजा विधि
चैत्र नवरात्रि की महाष्टमी या दुर्गाष्टमी के दिन प्रात:काल आप स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं। इसके पश्चात विधि विधान से मां महागौरी की पूजा करें। उनको नारियल का भोग लगाएं, जिससे वे प्रसन्न होकर आपकी संतान से जुड़ी समस्याओं का समाधान कर देंगी। इसके बाद आप मां महागौरी के मंत्रों का जाप करें तथा अंत में मां महागौरी की आरती करें।
कन्या पूजा
महागौरी की आरती के बाद मां दुर्गा के साक्षात् स्वरूप कन्याओं का पूजन करें। इसमें आप 1 से लेकर 9 तक सम संख्या में कन्याओं का पूजन कर सकते हैं। उनको आसन पर बैठाएं और जल से उनके पैर धोएं। इसके बाद उनकी आरती के साथ पूजा करें। उनको घर पर बने पकवान खाने को दें। भोजन के बाद उनका चरण स्पर्श करें तथा दान-दक्षिणा देकर सहर्ष विदा करें।
हालांकि कोरोना वायरस के कारण पूरे देश में लॉकडाउन है और लोग सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर रहे हैं, ऐसे में आप इस बार कन्या पूजन का कार्यक्रम स्थगित कर दें।