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Marriage Remedies: शीघ्र विवाह के लिए बुधवार के दिन करें ये उपाय, मिलेगा मनचाहा वर

कुंडली में बुध ग्रह मजबूत होने से जातक को करियर और कारोबार में मन मुताबिक सफलता मिलती है। बुध के कमजोर होने पर स्मरण शक्ति कमजोर हो जाती है। साथ ही व्यापार में भी नुकसान उठाना पड़ता है। इसके अलावा अविवाहित जातकों की शादी में भी बाधा आती है। अतः ज्योतिष कुंडली में बुध ग्रह मजबूत करने की सलाह देते हैं।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarPublished: Tue, 23 Apr 2024 04:12 PM (IST)Updated: Tue, 23 Apr 2024 04:12 PM (IST)
Marriage Remedies: शीघ्र विवाह के लिए बुधवार के दिन करें ये उपाय, मिलेगा मनचाहा वर

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Marriage Remedies: ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों के राजकुमार बुधदेव को बुद्धि का कारक माना जाता है। कुंडली में बुध ग्रह मजबूत होने से जातक को करियर और कारोबार में मन मुताबिक सफलता मिलती है। बुध के कमजोर होने पर स्मरण शक्ति कमजोर हो जाती है। साथ ही व्यापार में भी नुकसान उठाना पड़ता है। इसके अलावा, अविवाहित जातकों की शादी में भी बाधा आती है। अतः ज्योतिष कुंडली में बुध ग्रह मजबूत करने की सलाह देते हैं। बुध कमजोर होने पर महिला पक्ष से संबंध कमजोर हो जाते हैं। अगर आपकी शादी में बाधा आ रही है, तो बुधवार के दिन ये उपाय जरूर करें। इन उपायों को करने से शीघ्र विवाह के योग बनते हैं-

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कब शादी में आती है बाधा ?

ज्योतिषियों की मानें तो बुध ग्रह के अस्त होने या वक्री चलने के दौरान बुध धीमी गति से चाल चलते हैं। ऐसी स्थिति में बुध कमजोर माना जाता है। इससे विवाह में बाधा आती है। इसके अलावा, मातृ पक्ष की महिलाओं के साथ रिश्ते खराब होने पर भी बुध कमजोर होता है।

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उपाय

  • बुधवार का दिन भगवान गणेश को समर्पित होता है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा की जाती है। अतः बुधवार के दिन विधि-विधान से भगवान गणेश की पूजा करें। साथ ही भगवान गणेश को दुर्वा और मोदक अर्पित करें। इस उपाय को करने से भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं।
  • अगर आपकी शादी में बाधा आ रही है, तो हर बुधवार के दिन स्नान-ध्यान के बाद विधि-विधान से भगवान गणेश की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय भगवान गणेश को मालपुए अर्पित करें। इस उपाय को करने से शीघ्र विवाह के योग बनते हैं।
  • कुंडली में बुध ग्रह मजबूत करने के लिए हर बुधवार के दिन हरे रंग की चूड़ियां, साड़ियां, साबूत मूंग, हरे रंग की सब्जियों का दान करें। साथ ही गौ माता को चारा खिलाएं।
  • कुंडली में बुध ग्रह मजबूत करने के लिए 'ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः' मंत्र का जप पूजा के समय हर बुधवार के दिन करें। साथ ही बुध देव की पूजा-अर्चना करें।

दुर्गा सप्तशती स्तोत्रम

ॐ जयन्ती मङ्गला काली भद्रकाली कपालिनी।

दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु ते॥

जय त्वं देवि चामुण्डे जय भूतार्तिहारिणि।

जय सर्वगते देवि कालरात्रि नमोऽस्तु ते॥

मधुकैटभविद्राविविधातृवरदे नमः।

रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥

महिषासुरनिर्णाशि भक्तानां सुखदे नमः।

रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥

रक्तबीजवधे देवि चण्डमुण्डविनाशिनि।

रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥

शुम्भस्यैव निशुम्भस्य धूम्राक्षस्य च मर्दिनि।

रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥

वन्दिताङ्‌घ्रियुगे देवि सर्वसौभाग्यदायिनि।

रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥

अचिन्त्यरुपचरिते सर्वशत्रुविनाशिनि।

रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥

नतेभ्यः सर्वदा भक्त्या चण्डिके दुरितापहे।

रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥

स्तुवद्‌भ्यो भक्तिपूर्वं त्वां चण्डिके व्याधिनाशिनि।

रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि१॥

चण्डिके सततं ये त्वामर्चयन्तीह भक्तितः।

रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥

देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम्।

रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥

विधेहि द्विषतां नाशं विधेहि बलमुच्चकैः।

रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥

विधेहि देवि कल्याणं विधेहि परमां श्रियम्।

रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥

सुरासुरशिरोरत्ननिघृष्टचरणेऽम्बिके।

रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥

विद्यावन्तं यशस्वन्तं लक्ष्मीवन्तं जनं कुरु।

रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥

प्रचण्डदैत्यदर्पघ्ने चण्डिके प्रणताय मे।

रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥

चतुर्भुजे चतुर्वक्त्रसंस्तुते परमेश्‍वरि।

रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥

कृष्णेन संस्तुते देवि शश्‍वद्भक्त्या सदाम्बिके।

रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥

हिमाचलसुतानाथसंस्तुते परमेश्‍वरि।

रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥

इन्द्राणीपतिसद्भावपूजिते परमेश्‍वरि।

रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥

देवि प्रचण्डदोर्दण्डदैत्यदर्पविनाशिनि।

रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥

देवि भक्तजनोद्दामदत्तानन्दोदयेऽम्बिके।

रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥

पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्तानुसारिणीम्।

तारिणीं दुर्गसंसारसागरस्य कुलोद्भवाम्॥

इदं स्तोत्रं पठित्वा तु महास्तोत्रं पठेन्नरः।

स तु सप्तशतीसंख्यावरमाप्नोति सम्पदाम्॥

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डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।


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