Basant Panchami 2019: सरस्वती के साथ कामदेव का भी होता है इस दिन पूजन ये है विधि
बसंत पंचमी के दिन कामदेव की भी पूजा अर्चना की जाती है, यही कारण है कि इस दिन को कामदेव या प्रेम के उत्सव के नाम से भी बुलाते हैं। जाने इसकी पूजा विधि।
ज्ञान ही नहीं प्रेम आैर श्रद्घा का भी पर्व
बसंत पंचमी सिर्फ ज्ञान आैर विद्या के सम्मान का ही पर्व नहीं है, बल्कि इस दिन प्रेम आैर आस्था भी साथ साथ पूजे जाते हैं। इसीलिए ये एक सम्पूर्ण उत्सव माना जाता है। इसलिए जहां विद्याअर्जन के लिए इच्छुक बालक ज्ञान की देवी सरस्वती की अर्चना करते हैं वहीं प्रेम के देवता कामदेव को भी पूजा जाता है। इसके अलावा इस दिन भगवान विष्णु की पूजा भी की जाती है।
कामदेव की भी पूजा
बसन्त कामदेव का सहचर है। अतः इस दिन कामदेव तथा उसकी पत्नी रति की भी पूजा की जाती है, इसलिए बसंत पंचमी को रतिकाम महोत्सव भी कहते हैं प्रत्यक्ष में देखें तो बसंत ऋतु में समस्त जड़ चेतन में काम का संचार दिखाई देता है प्रकृति में एक अलग सौन्दर्य होता है विशेषकर मनुष्य कुछ अधिक प्रसन्न दिखाई देते है उनमें मोह (गुण) का विशेष प्रभाव दिखता है, हर तरफ उल्लास का वातावरण होता है कुदरत के रंगीन नज़ारे मन को मोह लेते है।
विष्णु पूजन विधि
इस दिन भगवान विष्णु का भी पूजन किया जाता है। प्रातः काल तैलाभ्यंग स्नान करके पीत वस्त्र धारण कर, विष्णु भगवान का विधिपूर्वक पूजन करना चाहिए तदुपरान्त पितृतर्पण तथा ब्राह्मण भोजन कराना चाहिए। इस दिन सभी विष्णु मंदिरों में भगवान का पीत वस्त्रों तथा पीत.पुष्पों से श्रंगार किया जाता है।
पहले गणेश सूर्य विष्णु शिव आदि देवताओं का पूजन करके सरस्वती देवी का पूजन करना चाहिए। सरस्वती पूजन करने के लिए एक दिन पूर्व संयम नियम से रहना चाहिए तथा दूसरे दिन स्नानोपरान्त कलश स्थापित कर, पूजनादि कृत्य करना चाहिए।