Apara Ekadashi 2022: अपरा एकादशी पर करें ये काम, मां लक्ष्मी की बनी रहेगी हमेशा कृपा
Apara Ekadashi 2022 गुरुवार के दिन एकादशी पड़ने के कारण इस दिन का महत्व और अधिक बढ़ गया है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने के साथ तुलसी और पीपल की पूजा अवश्य करना चाहिए। जानिए पूजा विधि
नई दिल्ली, Apara Ekadashi 2022: हिंदू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को अपरा या अचला एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है। मान्यता है कि अपरा एकादशी के दिन व्रत करने के साथ विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा करने से सभी कष्टों से छुटकारा मिल जाता है और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। आज जातक एकादशी का व्रत रखने के साथ भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। अपरा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने के साथ-साथ पीपल और तुलसी की पूजा करना भी शुभ माना जाता है।
अपरा एकादशी 2022 शुभ मुहूर्त
ज्येष्ठ कृष्ण एकादशी तिथि प्रारंभ- 25 मई को सुबह 10 बजकर 32 मिनट से शुरू
ज्येष्ठ कृष्ण एकादशी तिथि समाप्त- 26 मई को सुबह 10 बजकर 54 मिनट तक
उदया तिथि की मान्यता अनुसार- अपरा एकादशी व्रत 26 मई गुरुवार
आयुष्मान योग- 25 मई रात 10 बजकर 15 मिनट से 27 अप्रैल रात 10 बजकर 8 मिनट तक
सर्वार्थ सिद्धि योग- 26 अप्रैल सुबह 5 बजकर 46 मिनट से शुरू होकर 27 मई सुबह 12 बजकर 38 मिनट तक
व्रत का पारण- 27 मई को प्रातः: 05 बजकर 25 मिनट से प्रात: 08 बजकर 10 मिनट तक।
अपरा एकादशी के दिन करें तुलसी और पीपल की पूजा
अपरा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने के साथ-साथ तुलसी मां और पीपल के पेड़ की पूजा करना भी शुभ माना जाता है। क्योंकि तुलसी और पीपल में क्रमश: मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु का वास होता है। इसलिए इस दिन दोनों पौधों की पूजा करने से हर समस्या से छुटकारा मिलने के साथ सौभाग्य की प्राप्ति होती है। अगर कोई जातक किसी कारणवश इस दिन व्रत नहीं रख पा रहा है, तो वो भगवान विष्णु के साथ तुलसी और पीपल की पूजा जरूर करें। इससे उसे पूर्ण लाभ मिलेगा।
ऐसे करें तुलसी के पौधे और पीपल की पूजा
अपरा एकादशी के दिन सुबह उठकर सभी कामों ने निवृत्त होकर स्नान आदि करके साफ-सुथरे कपड़े पहन लें। इसके बाद घर में मौजूद तुलसी के पौधे को जल चढ़ाएं। इसके साथ ही पुष्प, माला, सिंदूर, लाल चुनरी, सोलह श्रृंगार, मिठाई आदि भोग में खिलाने के साथ घी का दीपक जला दें। इसके बाद तुलसी के पौधे की परिक्रमा कर लें।
तुलसी के पौधे की पूजा करने के बाद पीपल के पेड़ की विधिवत तरीके से पूजा करें। जल अर्पित करने के साथ दीपक आदि जलाकर परिक्रमा कर लें।
Pic Credit- Instagram/bhagwan_ji_ki_bhakt
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