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Ahoi Ashtami 2021: जानिए, अहोई अष्टमी की पूजन विधि और अहोई माता की आरती

Ahoi Ashtami 2021 संतान की दीर्घ आयु और कल्याण के लिए अहोई अष्टमी का व्रत रखा जाता है। इस दिन माताएं बच्चों की मंगलकामना के लिए व्रत रखती हैं और अहोई माता का पूजन करती हैं। आइए जानते हैं अहोई अष्टमी की पूजन विधि और आरती के बारे में....

By Jeetesh KumarEdited By: Published: Thu, 28 Oct 2021 09:12 AM (IST)Updated: Thu, 28 Oct 2021 09:12 AM (IST)
Ahoi Ashtami 2021: जानिए, अहोई अष्टमी की पूजन विधि और अहोई माता की आरती
Ahoi Ashtami 2021: जानिए, अहोई अष्टमी की पूजन विधि और अहोई माता की आरती

Ahoi Ashtami 2021: संतान की दीर्घ आयु और कल्याण के लिए अहोई अष्टमी का व्रत रखा जाता है। इस दिन माताएं अपने बच्चों की मंगलकामना के लिए व्रत रखती हैं और अहोई माता का पूजन करती हैं। अहोई अष्टमी का व्रत कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है। इसे अहोई या आठें भी कहते हैं। इस दिन भगवान गणेश का पूजन जरूर करना चाहिए, इसके साथ सेई और उसके सात बच्चों का भी पूजन किया जाता है। इस साल अहोई अष्टमी का व्रत आज, गुरू पुष्य नक्षत्र में मनाया जा रहा है।आइए जानते हैं अहोई अष्टमी की पूजन विधि और आरती के बारे में....

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अहोई अष्टमी की पूजन विधि

अहोई अष्टमी के दिन सुबह स्नान आदि से निवृत्त हो कर मताएं व्रत का संकल्प लेती हैं। दिन भर फलाहार व्रत रख कर सूर्यास्त के बाद के बाद अहोई माता की पूजा की जाती है। इसके लिए सबसे पहले दीवार पर गेरू से अहोई माता और उनके साथ सेई और उसके सात बच्चों का चित्र बनाया जाता है। या फिर बाजार में उपलब्ध अहोई माता के कैलेण्डर का भी पूजन किया जा सकता है। इसके साथ जमीन पर एक चौक बना कर उस पर जल से भरा हुआ कलश रखें।

सबसे पहले भगवान गणेश और कलश का पूजन किया जाता है। इसके बाद अहोई माता का रोली, अक्षत, धूप, दीप आदि से पूजन करें। इस दिन माताएं अपने गले में अहोई भी धारण करती हैं। हाथ में सात अनाज के दाने लेकर अहोई माता की व्रत कथा का पाठ करना चाहिए। अहोई माता को हलुआ-पूड़ी का भोग लगाएं। बच्चों की मंगलकामना की प्रार्थना करें। पूजन का अंत माता की आरती गा कर किया जाता है और व्रत का पारण तारे देखकर करने का विधान है।

अहोई माता की आरती

जय अहोई माता, जय अहोई माता!

तुमको निसदिन ध्यावत हर विष्णु विधाता। टेक।।

ब्राह्मणी, रुद्राणी, कमला तू ही है जगमाता।

सूर्य-चंद्रमा ध्यावत नारद ऋषि गाता।। जय।।

माता रूप निरंजन सुख-सम्पत्ति दाता।।

जो कोई तुमको ध्यावत नित मंगल पाता।। जय।।

तू ही पाताल बसंती, तू ही है शुभदाता।

कर्म-प्रभाव प्रकाशक जगनिधि से त्राता।। जय।।

जिस घर थारो वासा वाहि में गुण आता।।

कर न सके सोई कर ले मन नहीं धड़काता।। जय।।

तुम बिन सुख न होवे न कोई पुत्र पाता।

खान-पान का वैभव तुम बिन नहीं आता।। जय।।

शुभ गुण सुंदर युक्ता क्षीर निधि जाता।

रतन चतुर्दश तोकू कोई नहीं पाता।। जय।।

श्री अहोई मां की आरती जो कोई गाता।

उर उमंग अति उपजे पाप उतर जाता।।

डिस्क्लेमर

''इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना में निहित सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्म ग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारी आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।''

 


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