सावन 2018: पूरे माह के व्रत के बाद कन्याआें को भोजन करा करें व्रत का उद्यापन आैर पारण
सावन के महीने कुछ लोग सोमवार आैर कुछ लोग पूरे माह के व्रत रखते हुए एक समय ही भोजन करते हैं। पंडित दीपक पांडे से जाने कैसे आैर कब करें इन व्रतों का उद्यापन आैर पारण।
कब करें उद्यापन आैर पारण
सावन माह अपने अंतिम चरण में है। इस माह को शिव भक्त एक मासिक उत्सव के रूप में मनाते हैं आैर शिव जी को व्रत, पूजा आैर अभिषेक से प्रसन्न कर उनका आर्शिवाद प्प्त करने का प्रयत्न करते हैं। इस माह में पड़ने वाले सोमवार को व्रत आैर पूजा का अत्यंत महत्व होता है आैर लोग बड़ी श्रद्घा आैर निष्ठा से इसका पालन करते हैं। इसके साथ ही क्याेंकि शास्त्रों में ये भी कहा गया है कि सावन के सभी दिन शिव पूजा के लिए प्रदोष के समान महत्व रखते हैं तो कुछ भक्त इस माह के सभी दिन व्रत रखते हुए केवल एक समय भोजन करते हैं। इन सभी को सावन का माह पूर्ण होने पर व्रत का उद्यापन करना चाहिए। इसके लिए श्रद्घालुआें को इस बार रविवार 26 अगस्त को व्रत का उद्यापन करके भाद्र पक्ष की प्रतिपदा यानि 27 अगस्त को इसका पारण करना चाहिए। इसके लिए नीचे लिखी विधि से पूजा करनी चाहिए।
कन्याआें को भोजन कराना है सर्वोत्म
जिन लोगों ने पूरे महीने सावन का व्रत किया है या केवल फलाहार लिया है वे 26 अगस्त को व्रत का उद्यापन कर सकते हैं। इस दिन पूजा और हवन के साथ ही कन्याआें को भोजन करायें आैर पूजा पूर्ण होने के बाद जो कुछ इन बालिकाआें को खिलायें वही स्वयं भी ग्रहण हैं। उद्यापन वाले दिन स्नान के बाद शुद्घ सफेद वस्त्र पहनें आैर एक चौकी या वेदी को केले के पत्तों और फूलों से सजाएं। इसपर स्वयं या पुरोहित के द्वारा भोलेनाथ, पार्वती जी , गणपति, कार्तिकेय,नंदी और चंद्रदेव की प्रतिमा स्थापित करवायें। सभी को गंगाजल से स्नान कराये आैर चंदन, रोली एवम् अक्षत का टीका लगाएं। इसके बाद अकौड़े, विष्णुकांता आैर कमल के फूल अर्पित करें और बेलपत्र, धतूरा और भांग आदि चढ़ायें। अब शिवलिंग पर जल, दूध, दही, शहद, घी,गंगाजल का पंचामृत अर्पित करें। अंत में काले तिल डालकर 11 लोटे जल अर्पित करें। व्रत पूरे होने पर भगवान शंकर को पांच कमलगट्टे चढाएं और इनको पूजा स्थल पर ही छोड़ दें। अगले दिन भाद्र पक्ष की प्रतिपदा को प्रात:काल व्रत का पारण करें। आैर उसके बाद ही भोजन करें।
सावन के सोमवार का व्रत करने वाले एेसे करें उद्यापन
जिन लोगों ने इस बार पड़े चारों सोमवार का व्रत किया है वे भी रविवार 26 अगस्त को ही उद्यापन करें। उन्हें विशेष रूप से अगले दिन पारण की आवश्यकता नहीं है। सावन के अंतिम दिन यदि संभव हो तो व्रत रखते हुए रुद्राभिषेक या हवन करें । भगवान को फल मिष्ठान आैर विभिन्न प्रकार के स्वादिष्ट खाद्य पदार्थों का भोग लगायें। चीटियों को आटा खिलायें आैर दान पुण्य करें। मंदिर में भगवान शंकर के श्रीविग्रह का पूजन करें आैर शिवलिंग पर ग्यारह लोटे जल काले तिल डालकर चढाएं । शिव चालीसा आैर रुद्राष्टक का पाठ करें। ऊं नम: शिवायै शिवाय का पाठ करें। इसके बाद इस दिन भी भोग लगाया गया भोजन ही ग्रहण करें आैर उसे भी केवल एक समय ही खायें।