2019 Phulera Dooj: होली का आरंभ हो जाता है इस दिन से जाने महत्व आैर पूजन मुहूर्त
फुलैरा दूज को अबूझ मुहूर्त माना जाता है आैर इस दिन से होली के उत्सव की शुरूआत भी मानी जाती है। पंडित दीपक पांडे से जाने इस दिन पूजा का महत्व आैर शुभ मुहूर्त।
क्या है शुभ मुहूर्त
एेसी मान्यता है कि फुलैरा दूज से होली के उत्सव का आरंभ हो जाता है। ये फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष में मनार्इ जाती है आैर इसे अबूझ मुहूर्त कहा जात है यानि इस दिन बिना पत्रे का विचार किए शादी विवाह जैसे मांगलिक कार्य किए जा सकते हैं। इस वर्ष ये पर्व 08 मार्च, शुक्रवार को पड़ रहा है। वैसे तो इस बार पूरे दिन ही पूजा की जा सकती है परंतु यदि अत्याधिक शुभ मुहूर्त की बात की जाये तो वह प्रात काल 11 बज कर 48 मिनट से लेकर 12 बज कर 24 मिनट तक रहेगा। फुलैरा दूज को फाल्गुन माह का सबसे अच्छा दिन माना जा है। इस दिन कोई भी शुभ काम किया जा सकता है।
क्या होती है फुलैरा दूज
फाल्गुन मास में बसंत पंचमी आैर होली के मध्य पड़ने वाला ये पर्व होली के आरंभ का प्रतीक माना जाता है आैर आज भी उततर भारत के गांवों में इसे अत्यंत उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन घर में एक हिस्से को साफ करके उसे गोबर से लीपा जाता है आैर फिर उस पर गुलाल आैर फूलों से रंगोली बनार्इ जाती है। ये त्योहार होली आने की खुशी रूप में मनाया जाता है, इसीलिए इस दिन से लेकर होली तक लोग अपने घर को रंगोली से सजाते हैं।विशेष रूप से मथुरा वृंदावन में इस पर्व को अत्यंत उत्साह से मनाया जाता है। ये फूलों का त्योहार होता है इसीलिए इसे फुलैरा दूज कहते हैं। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण और राधा जी की पूजा की जाती है आैर उनको विभिन्न प्रकार के फूल अर्पित कर प्रसन्न किया जाता है। मंदिरों का राधा कृष्ण की मूर्ति सहित फूलों से श्रंगार किया जाता है। साथ ही उनकी मूर्ति को अबीर और गुलाल भी चढ़ाया जाता है।
फुलैरा दूज से जुड़ी विशेष बातें
इस दिन घरों में फूलों और अबीर या गुलाल की रंगोली बनाई जाती है। इसके बाद घरों में कृष्ण और राधा की मूर्ति या तस्वीर जो भी है उसको फूलों से सजाया जाता है। फुलैरा दूज के दिन पूजा करने के बाद श्रीकृष्ण को विभिन्न प्रकार के मीठे पकवानों का भोग लगाया जाता है। भोग लगाने के बाद इसी पकवान को प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है।